चीनी नागरिकों को वीजा दिलाने के मामले में हुए कथित भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कार्ति चिदंबरम (Karti Chidambaram) की अग्रिम जमानत की याचिका (Anticipatory Bail Application) पर फैसला सुरक्षित रखा है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उच्च अदालत ने फिलहाल फैसला सुऱक्षित रख लिया है.
सुनवाई के दौरान कार्ति चिदंबरम के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट के सामने कहा कि ये 2011 का मामला है, लेकिन FIR 2022 में दर्ज हुई है. इसमें कहा गया है कि वीजा रिश्वत के आधार पर दिया गया. इस मामले में आरोप लगाते वक्त एजेंसी गृह मंत्री का नाम लेती है, लेकिन गृह सचिव का नाम नहीं लेती. क्या उन्होंने यह देखा था कि उस वक्त गृह सचिव कौन था?
कार्ति के वकील ने कहा कि वीजा गृह सचिव द्वारा जारी किया जाता है. लेकिन शिकायत में गृह मंत्री का नाम दिया गया है. उन्होंने उस समय के गृह सचिव का नाम नहीं लिया, क्योंकि वह मौजूदा सरकार में कैबिनट मंत्री हैं. जिसने चेक जारी किया था उसकी 2018 में मृत्यु हो गई
कार्ति ने पक्ष रखा कि अब 2022 में जांच एजेंसी मेरी कस्टडी मांग रही है. आरोप का पैसा न मेरे पास पहुंचा, ना ही भास्कर के पास पहुंचा. मेरा इस मामले में कोई लेना देना नहीं है. हम मामले की जांच के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हमें बेवजह घसीटा जा रहा है. उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह बताए कि मेरे पास पैसे पहुंचे हैं. अगर मेरे पास पैसे नहीं पहुंचे तो मैं हेरा फेरी कैसे कर सकता हूं या उसमें शामिल कैसे हूं?
वकील ने कहा कि कार्ति चिदंबरम के भागने की कोई आशंका नहीं है. हम जांच में सहयोग कर रहे हैं. अग्रिम जमानत से जांच में कोई बाधा नहीं आएगी.
इसके बाद एजेंसी और सरकार की ओर से ASG राजू ने कहा कि हमको हैरानी है कि यह याचिका अग्रिम जमानत के लिए है या निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने के लिए, यहां तो ऐसी दलील रखी गई है जैसे जांच अभी शुरू नहीं हुई है या जांच खत्म हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि एक व्यक्ति अग्रिम जमानत नहीं ले सकता है, लेकिन जांच किस स्थिति में है यह तो देखा ही जाना चाहिए.
बता दें कि कथित चीनी वीजा घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज एक मामले में निचली अदालत से राहत नहीं मिलने के बाद कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने अग्रिम जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कार्ति ने निचली अदालत के तीन जून के उस आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी.