दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सूट से जुड़ी उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) के फैसले को चुनौती दी गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पहने गये सूट की नीलामी के संबंध में कुछ जानकारी की मांग को लेकर दायर सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन पर देरी से सूचना देने के लिए एक अधिकारी पर जुर्मना लगाने से इनकार करने के सीआईसी के फैसले को याचिका में चुनौती दी गई है. अदालत ने याचिका में दी गई दलीलों को ‘मिथ्या' करार दिया. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने आरटीआई आवेदक की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सीआईसी के समक्ष जुर्माना लगाने को लेकर कोई मामला साबित नहीं किया गया.
सीआईसी की ओर से जुलाई 2021 में दिये गये आदेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने आरटीआई कानून के तहत मोदी के सूट और इनकी नीलामी से संबंधित सूचनाएं प्राप्त करने के लिए एक आवदेन दायर किया था. उसने कहा कि उसे सूचनाएं एक महीने के विलंब से दी गईं, इसलिए सीआईसी को संबंधित अधिकारी पर जुर्माना लगाना चाहिए. याचिकाकर्ता ने कहा कि सीआईसी ने अधिकारी को आवेदन का जवाब देने में विलंब के लिए केवल चेतावनी दी, लेकिन उस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जो आरटीआई कानून के विपरीत है.
अदालत ने याचिका को मिथ्या करार देते हुए कहा कि कानून केवल सीआईसी को तभी जुर्माना लगाने की शक्ति प्रदान करता है जब वह पाता है कि सूचना बिना किसी कारण के विलंब से प्रदान की गई या जहां कोई दुर्भावना का मामला हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से नई दिल्ली में मुलाकात के दौरान जिस सूट को पहना था, उसे सूरत के एक हीरा कारोबारी ने 4.31 करोड़ रुपये में खरीदा था. वर्ष 2015 में मोदी के इस सूट के लिए नीलामी हुई थी.
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