दिल्ली उच्च न्यायालय ने 200 करोड़ रुपये की उगाही के मामले में कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर की पत्नी लीना पॉलोज की जमानत याचिका मंगलवार को खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि जांच से पता चला है कि दंपति ने संगठित अपराध गिरोह संचालित करने में मिलकर काम किया और अपराध से प्राप्त धन का इस्तेमाल अपने व्यवसाय और अन्य हितों को बढ़ावा देने के लिए किया. उच्च न्यायालय ने कहा कि जांच से पता चला है कि अपराध से प्राप्त धन का इस्तेमाल हवाई यात्रा और बॉलीवुड हस्तियों के लिए महंगे ब्रांडेड उपहारों की खरीद के लिए किया गया था.
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि जांच से पता चला है कि अपराध से प्राप्त धन का एक बड़ा हिस्सा चंद्रशेखर द्वारा रोहिणी जेल के अधिकारियों को बैरक के अकेले इस्तेमाल, संगठित अपराध गिरोह संचालन के लिए मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के निर्बाध उपयोग जैसे लाभ प्राप्त करने के लिए रिश्वत देने में भी किया गया था. पॉलोज के अलावा, उच्च न्यायालय ने वकील बी मोहन राज और चेन्नई के कार डीलर कमलेश कोठारी की जमानत याचिका भी खारिज कर दी तथा उन्हें राहत देने से इनकार करने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा.
अदालत ने कहा कि राज ने चंद्रशेखर गिरोह को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और जांच से पता चला है कि कोठारी ने उगाही के पैसे से दंपति को लक्जरी कारें खरीदने में मदद की थी. दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मामला है, जहां चंद्रशेखर पर जेल से प्रतिष्ठित लोगों के नाम पर फोन करने का आरोप लगाया गया है और पॉलोज तथा उसके पति के बीच स्पष्ट साजिश थी.
दिल्ली पुलिस ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रवर्तक शिविंदर सिंह और मालविंदर सिंह की पत्नियों से कथित तौर पर 200 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में चंद्रशेखर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. इसके अलावा देश भर में उसके खिलाफ कई मामलों में जांच जारी है. पुलिस ने मामले में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) भी लगाया है. दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि पॉलोज और चंद्रशेखर ने अन्य लोगों के साथ मिलकर अपराध की आय से अर्जित धन को हवाला के जरिए और फर्जी कंपनियां बनाकर ठिकाने लगाया.
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