बीजेपी के लिए दिल्ली में जीत का फॉर्मूला क्या है? केजरीवाल के खिलाफ कांग्रेस ने बदली रणनीति

AAP vs BJP Congress In Delhi Election: दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी एक बार फिर सत्ता में वापसी के लिए कोशिश कर रही है तो बीजेपी और कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए. जानिए, दिल्ली का सियासी रण...

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Delhi Election 2025: दिल्ली चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस और आप के बीच लड़ाई है.

Delhi Election 2025: बीजेपी (BJP) के लिए दिल्ली अब तक दूर ही रही है. 1956 के बाद पहली बार 1993 में दिल्ली विधानसभा चुनाव का गठन हुआ तो बीजेपी ने प्रचंड जीत हासिल की. मदन लाल खुराना सीएम बने. 5 साल के कार्यकाल में मदन लाल खुराना के बाद साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज सीएम बनीं. मगर 1998 के चुनाव हुए तो कांग्रेस की सरकार बनी. शीला दीक्षित सीएम बनीं और 2003, 2008 में भी लगातार बीजेपी को हराते हुए सीएम बनीं.

...और सीएम बने केजरीवाल

सन 2011 में अन्ना हजारे दिल्ली में जन-लोकपाल की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठते हैं, जिसे देश भर के लोगों का सहयोग मिलता है. अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) एक सेवक की तरह अन्ना हजारे के साथ रहते हैं. कांग्रेस (Congress) की अगुवाई में चल रही केंद्र सरकार पर कई तरह के आरोप लगते हैं. शीला सरकार भी कई तरह के आरोपों में घिर जाती है. 2 अक्तूबर 2012 को अन्ना हजारे के मना करने के बाद भी अरविंद केजरीवाल एक पार्टी बना लेते हैं और नाम रखते हैं-आम आदमी पार्टी (AAP).

2013 में विधानसभा चुनाव हुए तो सभी को चौंकाते हुए आप 29.70 फीसदी वोटों के साथ 28 सीटों पर जीत गई. 2008 में 40 फीसदी से अधिक वोट शेयर के साथ 43 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के पास महज 24.70 फीसदी वोट रह गए और वो महज 8 सीट जीत पाई. बीजेपी का वोट शेयर भी 2008 के 36.3 फीसदी के मुकाबले 33.2 फीसदी आ गया. वो 31 सीटें जीत तो गई लेकिन बहुमत के आंकड़े से चूक गई. फिर कांग्रेस से किसी भी कीमत पर गठबंधन न करने की कसम खाने वाले और उसे भ्रष्टाचार की जननी बताने वाले अरविंद केजरीवाल ने उसी की मदद से सरकार बना ली और मुख्यमंत्री बन गए. हालांकि, 49 दिनों बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया.

केजरीवाल लोकसभा चुनाव में फेल 

फिर 2015 में आप को 54.5 फीसदी वोट मिले और 67 सीट जीत ली. कांग्रेस का वोट शेयर 9.7 पर आ गया और वो एक भी सीट नहीं जीत पाई. बीजेपी 32.3 फीसदी वोट लाकर भी 3 सीट ही जीत पाई. 2020 के विधानसभा चुनाव में आप को 53.8 फीसदी वोट मिले और 62 सीटें जीत गई. बीजेपी 38.7 फीसदी वोटों के साथ इस बार भी 8 सीटें ही जीत पाई.  कांग्रेस 4.3 फीसदी वोटों के साथ इस बार भी खाता न खोल सकी. हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 46.4%, आम आदमी पार्टी को 32.9% और कांग्रेस को 15.1% वोट मिले. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 56.8%, आम आदमी पार्टी को 18.1% और कांग्रेस को 22.5% वोट मिले. वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 54.35 फीसदी, आप को 24.71 फीसदी और कांग्रेस को 18.91 फीसदी मत मिले.

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आखिर ऐसा क्यों

इन आंकड़ों को देने का मतलब ये है कि दरअसल, दिल्ली में 32 प्रतिशत वोट शेयर भाजपा का पक्का है. जो किसी भी स्थिति में भाजपा के साथ रहता है. हालांकि, लोकसभा चुनावों में बढ़कर 54-56 फीसदी तक चला जाता है. यानी 23-24 फीसदी वोटर्स दिल्ली के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग तरीके से मतदान करते हैं. विधानसभा में वो केजरीवाल के साथ जाते हैं और लोकसभा में बीजेपी के साथ. मगर इसका कारण क्या है? साफ है कि दिल्ली के वोटर्स को बीजेपी से ऐतराज नहीं है. वो दिल्ली में केजरीवाल को जिता रहे हैं कि उन्हें लगता है कि केजरीवाल उनके लिए ज्यादा फायदेमंद हैं. तो केजरीवाल कैसे दिल्ली वालों का फायदा करा रहे?

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दरअसल, केजरीवाल ने 200 यूनिट तक फ्री बिजली और पानी की योजना चला रखी है. इससे बहुत सारे लोगों को सीधा लाभ मिलता है. महिलाओं के लिए अब तक बस यात्रा फ्री कर रखी है. इससे गरीब तबके के वोटर्स केजरीवाल की तरफ विधानसभा चुनाव के दौरान झुकाव रखते हैं. इस बार बीजेपी के बढ़ते प्रभाव के कारण केजरीवाल ने सभी महिलाओं को सरकार बनने पर 2100 रुपये देने का वादा कर दिया है. जाहिर है, केजरीवाल को भी पता है कि उन्हें वोट इन फ्री वाली योजनाओं के कारण ही मिल रहे हैं.

बीजेपी क्या कर रही

अब तक केजरीवाल दिल्ली के मिडिल क्लास के बीच कट्टर ईमानदार की छवि के कारण लोकप्रिय थे. बीजेपी और कांग्रेस ने इस इमेज को बहुत हद तक डेंट कर दिया है. जेल जाने के बाद मिडिल क्लास अब केजरीवाल के समर्थन में उस तरह नहीं, जैसा पहले दिखता था. युमना से लेकर गलियों की सफाई, कूड़े के ढेर और वायु प्रदूषण को लेकर अपर मिडिल क्लास पहले ही केजरीवाल से नाराज है. ऐसे में बीजेपी को पता है कि उसे अब सिर्फ उन गरीब मतदाताओं को टारगेट करना है, जो फ्री योजनाओं के कारण केजरीवाल को वोट कर रहे हैं. इसीलिए बीजेपी ने इस बार केजरीवाल से भी ज्यादा 'दरियादिल' घोषणापत्र लाने की तैयारी कर रखी है.  

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सूत्रों के अनुसार बीजेपी मतदाताओं से कई बड़े वादे कर सकती है. पार्टी की तरफ से 300 यूनिट फ्री बिजली, मुफ्त पानी और लाडली बहना योजना के तरह ही दिल्ली की महिलाओं के लिए किसी योजना की शुरुआत हो सकती है. सूत्रों के अनुसार बीजेपी मंदिरों और गुरुद्वारों जैसे धार्मिक स्थानों पर 500 यूनिट तक बिजली देने की भी योजना बना रही है. 

कांग्रेस की क्या रणनीति

इससे पहले दिल्ली में महिलाओं के लिए कांग्रेस ने बड़ी घोषणा की है. हाल ही में कांग्रेस दिल्ली की महिलाओं के लिए प्यारी दीदी योजना का ऐलान कर चुकी है. कांग्रेस की इस योजना के तहत सरकार बनने पर हर महीने महिलाओं को 2500 रुपये दिए जाएंगे. प्यारी दीदी योजना के ऐलान पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार मौजूद रहे थे. उन्होंने योजना के ऐलान पर कहा था कि हमें इसे उसी मॉडल पर लागू करेंगे, जिसे हमने कर्नाटक में लागू किया था. साफ है कि कांग्रेस और बीजेपी इस बार केजरीवाल की पिच पर ही मात देने की तैयारी में हैं. मुस्लिम वोटों पर खासतौर पर कांग्रेस की नजर है और अपने घोषणापत्र में वो उनके लिए कुछ खास घोषणाएं कर सकती है. जाहिर है कांग्रेस भी इस बार केजरीवाल से 2013 का हिसाब-किताब पूरा करने की पूरी तैयारी के साथ उतर रही है. कारण आम आदमी के ओरिजनल वोटर तो कांग्रेस के ही हैं. अगर, कांग्रेस उन्हें ये भरोसा दिला पाती है कि वो सरकार बनाने के लिए लड़ रही है तो ये वोट बैंक वापस आ सकता है.

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दिल्ली में कब वोटिंग

निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था. दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी को समाप्त हो रहा है. दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटें हैं, जिसमें से 58 सामान्य श्रेणी की, जबकि 12 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने बताया था कि नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 17 जनवरी है और नामांकन पत्रों की जांच 18 जनवरी तक की जाएगी. उम्मीदवार 20 जनवरी तक अपना नामांकन वापस ले सकेंगे.  

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