''क्या हाल बना दिया देश का. अभी राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त कर दी इन लोगों ने. डरते हो तुम लोग. भारत के इतिहास में सबसे भ्रष्ट प्रधानमंत्री में कोई अगर हुआ है... जो 12वीं पढ़ा है. कोई सबसे कम पढ़ा लिखा प्रधानमंत्री हुआ है तो वह नरेंद्र मोदी हैं.''
''डरा हुआ तानाशाह, एक मरा हुआ लोकतंत्र बनाना चाहता है. मीडिया समेत सभी संस्थाओं पर कब्जा, पार्टियों को तोड़ना, कंपनियों से हफ्ता वसूली, मुख्य विपक्षी दल का अकाउंट फ्रीज करना भी असुरी शक्ति के लिए कम था, तो अब चुने हुए मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी भी आम बात हो गई है. इंडिया इसका मुंहतोड़ जवाब देगा.''
ऊपर दिए गए दो बयान आप नेता अरविंद कजेरीवाल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हैं. पहला बयान केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में दिया था. यह तब का है जब एक अदालती फैसले के बाद राहुल गांधी की संसद की सदस्यता छीन ली गई थी. वहीं दूसरा बयान राहुल गांधी ने तब दिया था, जब तथाकथित शराब घोटाले में दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया था.
अरविंद केजरीवाल पर राहुल गांधी का हमला
अब एक तीसरा बयान देखिए, ''ये है केजरीवाल जी की ‘चमकती' दिल्ली - पेरिस वाली दिल्ली!''राहुल गांधी ने यह बयान दिल्ली का एक वीडियो सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा था. यह बयान यह दिखाने के लिए काफी है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के रिश्ते किस कदर बिगड़ चुके हैं.
राहुल गांधी का ताजा बयान यह दिखाता है कि कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव में मजबूती से उतर चुकी है, जहां उसे पिछले दो विधानसभा चुनावों में शून्य हाथ लगा था. राहुल गांधी ने बीते हफ्ते दिल्ली के सीलमपुर में आयोजित रैली में कहा था कि उनके लिए पीएम नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल में कोई अंतर नहीं हैं. यह पहला बार था, जब कांग्रेस नेता ने अरविंद केजरीवाल पर सीधे हमला बोला था. यह हाल तब है जब अभी कुछ महीने पहले ही दोनों ही दलों ने दिल्ली में लोकसभा का चुनाव मिलकर लड़ा था. लेकिन दोनों एक सीट भी नहीं जीत पाए थे. इसके बाद दोनों दलों ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए समझौता करने से परहेज किया. हालांकि राहुल गांधी आप से समझौता चाहते थे. इसके बाद दोनों दलों ने दिल्ली विधानसभा का चुनाव अलग-अलग लड़ने का फैसला किया.
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का संबंध
दिल्ली में आप और कांग्रेस की इस लड़ाई का संबंध केवल दिल्ली से नहीं है.यह लड़ाई पंजाब बाया गुजरात होते हुए आई है. दिल्ली में कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान आप ने ही पहुंचाया है. कांग्रेस के वोटों की बदौलत ही आप दिल्ली में ऐतिहासिक जीत हासिल करने में कामयाब रही है. वहीं पंजाब में आप और कांग्रेस का सीधा मुकाबला है तो गुजरात में आप ने 13 फीसदी वोट हासिल कर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया. वहीं हरियाणा के विधानसभा चुनाव में समझौता न होने की वजह से आप ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ा. वो कोई सीट तो नहीं जीत पाई, लेकिन कांग्रेस की जीत की संभावना को धूमिल जरूर कर दिया. यही वजह है कि कांग्रेस दिल्ली में आप के खिलाफ हमलावर है. हर छोड़ा-बड़ा नेता सीधे आम आदमी पार्टी पर ही अटैक कर रहा है. भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी आम आदमी पार्टी अब बचाव की मुद्रा में है.
दिल्ली में आप के मजबूत होने का परिणाम है कि एक समय 40 फीसदी से अधिक का वोट बैंक रखने वाली कांग्रेस पांच फीसदी से भी नीचे आ गई है. यही वजह है कि कांग्रेस अपने खोए हुए वोट बैंक को हासिल करने के लिए जी-जान से चुनाव मैदान में आ गई है. ऐसे में अगर कांग्रेस अपना वोट बैंक बढ़ा पाने और कुछ सीटें जीतने में सफल होती है तो इसका सीधा नुकसान आप को ही उठाना पड़ेगा. दिल्ली के गरीब-गुरबा और मुसलमान कांग्रेस के वोटर रहे हैं. मुफ्त की बिजली-पानी की वजह से यह वोटर कांग्रेस से दूर जा चुका है. उसे वापस लाना कांग्रेस के लिए चुनौती है. वहीं कांग्रेस ने जिस तरह से संविधान का मुद्दा उठाया है, उससे मुसलमान वोटर उसकी ओर आकर्षित हुए हैं. यह लोकसभा चुनाव के परिणाम में नजर भी आता है. ऐसे में अगर दिल्ली में मुसलमान कांग्रेस की ओर गए तो नतीजे चौकाने वाले हो सकते हैं.
दो हिस्सों में बंटा इंडिया गठबंधन
दिल्ली में आप और कांग्रेस की लड़ाई ने इंडिया गठबंधन को भी दो हिस्सों में बांट दिया है. गठबंधन के कई दल खुलकर अरविंद केजरीवाल की आप के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. इनमें समाजवादी पार्टी, शरद पवार की एनसीपी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस शामिल है. इन दलों ने दिल्ली में आप का समर्थन किया है. इस तरह के समर्थन और इंडिया गठबंधन में नेतृत्व को लेकर मची मारा-मारी ने भी कांग्रेस को सचेत किया है. वह हर जगह अपने आप को मजबूत करने में जुट गई है. वह रिजनल पार्टी को मजबूत करने के लिए खुद को कमजोर नहीं करना चाहती है. वह दिल्ली में बीजेपी को हराने के लिए तीसरे नंबर की पार्टी बनकर नहीं रहना चाहती है. इसलिए ही कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी पर हमले करना जारी रखा है.
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