फेसबुक (Facebook) बनाम दिल्ली सरकार (Delhi Government) मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा कि दिल्ली विधानसभा (Delhi Assembly) के पास फेसबुक को नोटिस जारी करने की कोई शक्ति नहीं है. मध्यस्थों से संबंधित आईटी और कानून संसद के क्षेत्र में आते हैं और इस पर विधानसभा का अधिकार क्षेत्र नहीं है. दिल्ली विधानसभा को लोगों की जांच करने और अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने की शक्ति कहां से मिली? यह मुद्दा महत्वपूर्ण है अन्यथा सहकारी संघवाद की आड़ में राज्य उन विषयों के साथ हस्तक्षेप करेंगे जो उनके डोमेन नहीं हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत के समक्ष मुद्दा यह है कि क्या समिति एक निजी व्यक्ति को इसके समक्ष उपस्थित होने के लिए मजबूर कर सकती है? हमें नहीं लगता कि न्यायालय को इस बात की जांच करने की आवश्यकता है कि क्या विधानसभा किसी समिति का गठन कर सकती है?
सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि मोहन के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. केंद्र के लिए पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आईटी और कानून व्यवस्था के मुद्दे को देखते हुए दिल्ली विधानसभा पैनल का विरोध किया, जो उनका डोमेन नहीं है. इस मामले में सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी.
सुप्रीम कोर्ट फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष अजीत मोहन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. फरवरी 2020 में हुए दिल्ली के दंगों में “फेसबुक के अधिकारियों की भूमिका या मिलीभगत" की शिकायतों पर विधानसभा की शांति और सद्भाव की समिति द्वारा जारी समन को चुनौती दी गई है. जस्टिस एसके कौल, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है.