ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात कर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने की कोशिशों का विरोध करते हुए उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. सपा के राष्ट्रीय सचिव एवं प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली की अगुवाई में बोर्ड के प्रतिनिधिमंडल ने पार्टी मुखिया से मुलाकात की और उन्हें यूसीसी लागू करने की सरकार की कथित कोशिश का विरोध करने के आग्रह संबंधी ज्ञापन सौंपा.
चौधरी के मुताबिक ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘ हमारा देश एक बहुसांस्कृतिक देश है और संविधान ने भी धार्मिक आजादी और सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षा दी है. मगर केन्द्र और राज्य सरकारें अक्सर धार्मिक एवं सांस्कृतिक आजादी पर हमले करने और एक विशेष धर्म और संस्कृति को सभी लोगों पर थोपने की कोशिश करती रहती है.'' चौधरी ने ज्ञापन के हवाले से बताया, ‘‘उनका (सरकार का) एक स्पष्ट मक़सद यह भी है कि अन्य धार्मिक इकाइयों का बहुसंख्यक संस्कृति में विलय कर लें. हालिया वर्षों में ऐसे कई कानून बनाए गए जिनसे संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है.''
ज्ञापन में कहा गया है कि केन्द्र सरकारें और खासतौर से वर्तमान सरकार बार-बार यूसीसी की बात करती है; यह बात न केवल बदनीयती पर आधारित है बल्कि देश के अल्पसंख्यकों और आदिवासियों के मौलिक अधिकार के हनन की साजिश है. देश के किसी भी वर्ग पर उसकी मर्जी के बिना समान नागरिक संहिता लागू करना असल में उसकी पहचान को मिटाने का कुत्सित प्रयास है. सपा प्रवक्ता ने बताया कि पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने बोर्ड के प्रतिनिधिमंडल को अपने समर्थन का भरोसा दिलाया. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए धर्म और धार्मिक कार्य सिर्फ राजनीति का जरिया है, भाजपा आस्था और जनविश्वास के साथ खेलती है. समाजवादी पार्टी शुरू से ही लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के लिए प्रतिबद्ध है.''
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