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Tractor Rally Violence: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने 26 जनवरी के दिन किसानों द्वारा बुलाई गई ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) में लाल किले (Red Fort) पर हुई हिंसा के मामले में दर्ज प्राथमिकी में अभिनेता दीप सिद्धू (Deep Sidhu) और गैंगस्टर से सामाजिक कार्यकर्ता बने लक्खा सिधाना के नाम भी लिए हैं. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बुधवार शाम को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सार्वजनिक संपत्ति को क्षति से रोकथाम अधिनियम और अन्य कानूनों की प्रासंगिक धाराओं के तहत उत्तरी जिले के कोतवाली थाने में मामला दर्ज किया है. पुलिस ने हिंसा मामले में राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव और मेधा पाटकर सहित 37 किसान नेताओं के खिलाफ भी नामजद प्राथमिकी दर्ज की है और उनके खिलाफ दंगा, आपराधिक षड्यंत्र, हत्या का प्रयास सहित IPC की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है.
- कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में दरारें दिखने के बीच बुधवार को किसान संगठनों ने एक फरवरी का प्रस्तावित संसद मार्च रद्द कर दिया है. उसी दिन संसद में बजट पेश किया जाना है. किसान संगठनों का यह फैसला राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैक्टर परेड के दौरान भारी हिंसा के एक दिन बाद आया है. एक दिन पहले हुई हिंसा में करीब 400 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे.
- किसान नेताओं ने हालांकि आरोप लगाया है कि मंगलवार की घटनाओं के पीछे एक साजिश थी और उन्होंने इस संबंध में जांच कराए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ उनका आंदोलन चलता रहेगा और 30 जनवरी को देशभर में जनसभाएं और भूख हड़ताल की जाएंगी. किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में पुलिस पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए कहा, 'ट्रैक्टर परेड सरकारी साजिश से प्रभावित हुई थी. दीप सिद्धू RSS का व्यक्ति है. पुलिस ने लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराने के बाद उसे जाने दिया.'
- दीप सिद्धू अभिनेता और भाजपा सांसद सनी देओल के पूर्व सहयोगी हैं. किसानों के आंदोलन का समर्थन करने को लेकर देओल ने दिसंबर में सिद्धू से खुद को अलग कर लिया था. पाल ने कहा, 'हमने एक फरवरी को बजट के दिन संसद मार्च की अपनी योजना रद्द कर दी है, लेकिन हमारा आंदोलन जारी रहेगा और 30 जनवरी को देशभर में जनसभाएं और भूख हड़ताल की जाएंगी.' एक अन्य किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने दावा किया कि मंगलवार की परेड में दो लाख से अधिक ट्रैक्टरों के साथ लाखों लोगों ने भाग लिया और 99.9 प्रतिशत प्रदर्शनकारी शांत थे.
- मंगलवार की हिंसक घटनाओं की व्यापक रूप से निंदा की गई है. हालांकि किसानों के विभिन्न संगठन आरोप लगा रहे हैं कि कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन को बर्बाद करने के लिए असामाजिक तत्वों ने हिंसा की लेकिन हिंसक घटनाओं का असर अब दिख रहा है और भारतीय किसान यूनियन (भानु) तथा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे प्रदर्शनों से हटने का फैसला किया है.
- करीब दो माह से चिल्ला बॉर्डर पर धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन (भानू) ने बुधवार से अपना धरना वापस ले लिया. भारतीय किसान यूनियन (भानू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने चिल्ला बॉर्डर पर एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि कल ट्रैक्टर परेड के दौरान जिस तरह से दिल्ली में पुलिस के जवानों के ऊपर हिंसक हमला हुआ और कानून व्यवस्था की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं, इससे वे काफी आहत हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से लालकिले पर एक धर्म विशेष का झंडा फहराया गया, उससे भी वह दुखी हैं.
- किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रहे स्वराज इंडिया नेता योगेंद्र यादव ने कहा, 'हमें लाल किले की घटना पर अफसोस है और हम इसकी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं. इस घटना की जांच होनी चाहिए. इसके पीछे एक साजिश है.'
- योगेंद्र यादव ने प्राथमिकी में किसान नेताओं के नाम के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, 'प्राथमिकी, जेल और प्रताड़ना आंदोलनों के पुरस्कार हैं.' एक अन्य किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा, 'हमारे पास वीडियो क्लिपिंग हैं और हम खुलासा करेंगे कि किस प्रकार हमारे आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रची गई.'
- कई किसान संगठनों ने दीप सिद्धू पर मंगलवार को हुई किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारियों को लाल किले की ओर बढ़ने के लिए उकसाने का आरोप लगाया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि सिद्धू ने केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन को कथित तौर पर बदनाम करने की कोशिश की.
- खुद पर लगे आरोपों पर दीप सिद्धू ने लाल किले में प्रदर्शनकारियों के कृत्यों का बचाव करने की कोशिश करते हुए कहा है कि उन लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया था और विरोध के प्रतीक के तौर पर 'निशान साहिब' का झंडा लगा दिया था.
- भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने बुधवार को आरोप लगाया, 'दीप सिद्धू सरकार के एजेंट हैं और उन्होंने किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के लिए सरकार के इशारे पर ऐसा किया.' उन्होंने दावा किया, 'वह युवकों को गुमराह कर उन्हें लाल किला की ओर ले गए. हमने दीप सिद्धू जैसे लोगों को अपने मंच पर कभी आने नहीं दिया. हम जानते थे कि वह हमारे आंदोलन को बदनाम कर सकते हैं. हमने उन पर कभी विश्वास नहीं किया.'