महिलाओं, बच्चों के विरूद्ध अपराध के आरोपी सरकारी अधिकारियों का डाटा बेस बने : स्वाति मालीवाल

स्‍वाति मालीवाल ने सिफारिश की कि आरोपी को ‘‘तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने की जरूरत है.’’ साथ ही कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि संभव है कि आरोपी ने कई अपराध किये हों.

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स्‍वाति मालीवाल ने कहा कि अधिकारियों के डेटाबेस को दिल्ली महिला आयोग के साथ भी साझा किया जाना चाहिए. (फाइल)
नई दिल्‍ली:

दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) प्रमुख स्वाति मालीवाल ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को पत्र लिखकर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के आरोपी सरकारी अधिकारियों का एक डेटाबेस तैयार करने की मांग की है. मालीवाल ने यह पत्र ऐसे समय लिखा है जब कुछ दिन पहले महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग के एक अधिकारी को एक किशोरी से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. तेरह अगस्त को दर्ज मामले में गिरफ्तार होने से कुछ समय पहले, प्रेमोदय खाखा को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश के बाद महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग में उप निदेशक के पद से निलंबित कर दिया गया था. खाखा पर एक किशोरी से कई बार दुष्कर्म करके उसे गर्भवती करने का आरोप है. खाखा की पत्नी सीमा रानी पर आरोप है कि उसने लड़की को गर्भपात के लिए गोलियां दीं. 

मुख्‍य सचिव नरेश कुमार को लिखे अपने पत्र में डीसीडब्ल्यू प्रमुख मालीवाल ने कहा कि आयोग ने महिला एवं बाल विकास विभाग और दिल्ली पुलिस को एक नोटिस जारी किया है. मालीवाल ने बृहस्पतिवार को भेजे पत्र में कहा, ‘‘आयोग को सूचित किया गया है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के संबंध में आरोपी व्यक्ति के खिलाफ पहले चार शिकायतें दर्ज की गई थीं. यह पता चला है कि तीन शिकायतें तीन अलग-अलग महिलाओं द्वारा दी गई थीं, जबकि चौथी शिकायत गुमनाम थी. तीनों शिकायतकर्ताओं ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया.''

एक याचिका का उच्च न्यायालय ने निस्तारण कर दिया हैं, वहीं शेष दो लंबित हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि संभव है कि आरोपी ने कई अपराध किये हों और महिला एवं बाल विकास के संवेदनशील विभाग में तैनात होने के कारण महिलाओं और बच्चों तक उसकी पहुंच की कल्पना करना डरावना है.''

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मालीवाल ने सिफारिश की कि आरोपी को ‘‘तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने की जरूरत है.''

पत्र में कहा गया है कि ऐसे सभी अधिकारियों का एक डेटाबेस बनाया जाना चाहिए जिनके खिलाफ महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं, चाहे ऐसी शिकायतों की स्थिति की कुछ भी हो. 

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पत्र में कहा गया, ‘‘इस डेटाबेस को दिल्ली महिला आयोग के साथ भी साझा किया जाना चाहिए. इन सभी पिछली और लंबित शिकायतों की वरिष्ठतम अधिकारियों और विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा फिर से जांच की जानी चाहिए और प्रत्येक अधिकारी पर निर्णय लिया जाना चाहिए कि क्या संबंधित व्यक्ति महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण, शिक्षा जैसे संवेदनशील विभागों में तैनात होने के लिए उपयुक्त है...जहां उनकी महिलाओं और लड़कियों तक पहुंच हो सकती है.''

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उन्होंने पत्र में लिखा है कि उन सभी अधिकारियों का डेटाबेस, जिनके खिलाफ महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं, सरकार द्वारा बनाया जाना चाहिए और प्रत्येक मामले में लिए गए निर्णय के साथ इसे आयोग के साथ नियमित रूप से साझा किया जाना चाहिए. 

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मालीवाल ने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम के तहत एक नयी मजबूत आंतरिक शिकायत समिति का गठन करना चाहिए जिसमें लैंगिक मुद्दों पर काम करने वाले प्रमुख गैर सरकारी संगठनों के बाहरी विशेषज्ञ भी हों. 

उन्होंने कहा कि इस समिति को दिल्ली सरकार में तैनात उन अधिकारियों के खिलाफ लंबित कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न संबंधी सभी शिकायतों की जांच करनी चाहिए और अपनी रिपोर्ट तत्काल सरकार के साथ-साथ आयोग को सौंपनी चाहिए. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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