जबरन धर्मांतरण का डेटा जरूरी नहीं: नया कानून लाने के लिए जोर लगा रही कर्नाटक बीजेपी

कर्नाटक की भाजपा सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून पर जोर दे रही है, राज्य में इस मुद्दे को लेकर ईसाइयों पर कई हमले हुए हैं

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बेंगलुरु में धर्मांतरण विरोधी कानून लाए जाने के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं.
बेंगलुरु:

ईसाई समुदाय से संबंधित धार्मिक पुस्तकों को जलाने से लेकर चर्चों के अंदर घुसने और उसके सदस्यों पर हमला करने तक, कर्नाटक में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले की खबरें आई हैंत. धर्मांतरण विरोधी विधेयक कैबिनेट में चर्चा का एक ज्वलंत विषय बन गया है. लेकिन जब एनडीटीवी ने पूछा कि क्या सत्तारूढ़ भाजपा के पास राज्य में बढ़ते अवैध धर्मांतरण के अपने दावे का समर्थन करने के लिए डेटा या सबूत हैं, तो पार्टी के पास कुछ जवाब थे. ईसाइयों के खिलाफ बढ़ते हमलों और समुदाय द्वारा उठाए गए धर्मांतरण विरोधी बिल पर आपत्तियों के बावजूद कर्नाटक सरकार अपनी योजनाओं को आगे बढ़ा रही है. वह इसे इस आधार पर सही ठहरा रही है कि अवैध धर्मांतरण बढ़ रहे हैं.

लेकिन जब NDTV ने बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता से पूछा कि क्या इन दावों के समर्थन में पुख्ता सबूत हैं, तो उन्होंने कहा, "डेटा जरूरी नहीं है," और कहा कि "सभी" धर्मांतरण अवैध हैं. भाजपा के वामन आचार्य ने कहा, "डेटा आवश्यक नहीं है क्योंकि यह स्पष्ट है. यह ईसाई आबादी में 0.5 प्रतिशत से 3 प्रतिशत की वृद्धि से बहुत स्पष्ट है. जहां तक ​​​​भाजपा का संबंध है, तो यह मानती है कि सभी धर्मांतरण अवैध हैं." 

जब एनडीटीवी ने उनके इस दावे के आंकड़े के बारे में पूछा कि ईसाई आबादी 0.5 प्रतिशत से बढ़कर 3 प्रतिशत हो गई है, तो उन्होंने दावा किया कि यह 2011 की जनगणना से है, जो कि अंतिम उपलब्ध जनगणना है. हालांकि, 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक की ईसाई आबादी 1.87 प्रतिशत थी. यह - 2001 की जनगणना की तुलना में कम थी. तब ईसाई आबादी 1.91 प्रतिशत थी.

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राज्य में भाजपा के आधिकारिक प्रवक्ता डॉ गिरिधर उपाध्याय भी सबूत मांगे जाने पर उतने ही अस्पष्ट थे. उन्होंने कहा कि "सरकार ने उन चर्चों पर एक सर्वेक्षण का आदेश दिया है जो पंजीकृत और अपंजीकृत हैं, और अवैध चर्च हैं. क्योंकि कई घरों को प्रार्थना हॉल में बदल दिया गया है जहां लोगों को बहकाया जाता है और उनके मन में डर लाया जाता है... और ऐसे सभी चीजें हो रही हैं." 

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विपक्ष ने कहा है कि अवैध धर्मांतरण पर जोर देना एक राजनीतिक हथकंडा है. राज्य कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार ने कहा "राजनीतिक लाभ के लिए सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून ला रही है. यदि मामला गंभीर है, तो उन्हें संसद में एक कानून लाने दें. यह केवल राज्यों में हो रहा है, केवल इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए. अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले बढ़ रहे हैं."

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जबकि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि धर्मांतरण विरोधी विधेयक को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में चर्चा के लिए लिया जाएगा. बेंगलुरु शहर में छिटपुट विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. बिल के खिलाफ मानव श्रृंखला के विरोध के एक दिन बाद नागरिक स्वतंत्रता के लिए पीपुल्स यूनियन ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की. इसमें हिंदुत्व समूहों द्वारा घृणा अपराधों की लगभग 39 घटनाओं का दस्तावेजीकरण किया गया है.

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