क्या समंदर में उठने वाले चक्रवाती तूफान का असर किसी फकीर की दुआ कम कर सकती है? यह बात सुनने में अजीब लगती है, लेकिन पाकिस्तान के कराची में लोगों का यही विश्वास है. वजह भले ही अरब सागर का भूगोल है, लेकिन कराची के लोग बड़े तूफानों के वहां न टकराने को अब्दुल्ला शाह गाजी की दुआ का असर मानते हैं. गाजी 18वीं सदी के फकीर थे. चक्रवाती तूफान ‘असना' के अरब सागर में उठने के बाद फकीर गाजी की चर्चा फिर होने लगी. यह संयोग ही है कि बड़े तूफान अक्सर कराची को छूकर निकलते रहे हैं.
शुक्रवार को पाकिस्तान के दक्षिणी शहर कराची पर चक्रवात 'असना' का खतरा मंडरा रहा था, जो देश के अरब सागर तट पर स्थित है. प्रशासन भी अलर्ट मोड पर था. तटीय इलाकों में रहनेवाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का काम किया जा रहा था. प्रशासन चक्रवात को लेकर डरा हुआ था. मौसम विभाग ने आशंका जताई थी कि चक्रवात कहर बरपा सकता है. लेकिन इस खतरे में भी अब्दुल्ला शाह गाजी से दुआ की जा रही थी. गाजी को कराची शहर का रखवाला कहा जाता है. इनकी दरगाह कराची में है. कराची के लोगों को मानना है कि अब्दुल्ला शाह गाजी कराची में किसी चक्रवात को आने ही नहीं देते हैं. यही वजह थी कि एक ओर जहां प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे थे. वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग अब्दुल्ला शाह गाजी की दरगाह पर दुआ मांग रहे थे. इन लोगों को यकीन था कि अब्दुल्ला शाह गाजी कराची को तूफान से बचा लेंगे.
क्या है गाजी की कहानी
गाजी एक सूफी मुस्लिम संत थे, जो आठवीं शताब्दी में हुए थे. बताया जाता है कि अब्दुल्ला शाह गाजी अरब से आए थे, और अपने भाई सैयद मिस्री शाह के साथ सिंध प्रांत (जहां कराची है) में बसने आए थे. हालांकि, कई लोग मानते हैं कि उनका जन्म सऊदी अरब के मदीना में हुआ था, जबकि कुछ कहते हैं कि वह इराक से आए थे. ऐसा कहा जाता है कि सिंध के भीतरी जंगलों में दुश्मनों ने उन पर घात लगाकर हमला किया और उन्हें मार डाला था. उनके समर्थकों के एक दल ने उन्हें एक रेतीली पहाड़ी पर दफनाया, जो क्लिफ्टन के समुद्र तटीय कराची इलाके में स्थित है. यहीं आज उनकी दरगाह है. किंवदंती है कि एक दिन मछली पकड़ने के लिए मछुआरों का एक समूह एक चक्रवात में फंस गया था. इन्हें बचाने के लिए गाजी ने अपना खाने का कटोरा लिया और उसमें पानी भर दिया, जिससे बाद तूफान थम गया. तब से यह मान्यता है कि गाजी लोगों को चक्रवात से बचाएंगे.
कराची में चक्रवात न पहुंचने का वैज्ञानिक देते हैं ये तर्क
फकीर अब्दुल्ला शाह गाजी से जुड़ी किंवदंती में कितनी सच्चाई है? क्या वाकई इस फकीर की वजह से ही कराची से दूर चला जाता है चक्रवात. पिछले कुछ सालों में आए चक्रवात भी इस मान्यता को और पक्का करते हैं. 2010 में फेट, 2014 में निलोफर, 2021 में तौकता और 2023 में बिपरजॉय सहित अरब सागर के ऊपर कई उष्णकटिबंधीय चक्रवातों ने कराची में लैंडफॉल करने के बजाय अपना रास्ता ही बदल लिया. हालांकि, विज्ञान इसके पीछे अलग तर्क देता है. पर्यावरणविद बताते हैं कि चक्रवातों के कराची शहर में न पहुंचने का कारण इसकी भौगोलिक स्थिति भी है. दरअसल, कराची एक तरह से अंदर की ओर मुड़ा हुआ है. इसलिए यहां कोई भी चक्रवात आसानी से नहीं पहुंच पाता है.
मौसम विभाग ने ली राहत की सांस
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शुक्रवार शाम को जारी एक विज्ञप्ति में बताया कि कच्छ तट और पाकिस्तान के समीपवर्ती क्षेत्रों पर बना गहरा दबाव "चक्रवाती तूफान असना में तब्दील हो गया है और पूर्वाह्न 11:30 बजे भुज से लगभग 190 किलोमीटर पश्चिम-उत्तरपश्चिम में केंद्रित है." आईएमडी ने पहले कहा था कि क्षेत्र के ऊपर बना गहरा दबाव शुक्रवार सुबह तक चक्रवाती तूफान में बदल सकता है. इसके बाद अधिकारियों ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए कदम उठाए. लेकिन कच्छ तट पर दिन में बना चक्रवाती तूफान ‘असना' इलाके पर कोई बड़ा प्रभाव डाले बिना अरब सागर में ओमान की ओर बढ़ गया. यह अगले दो दिनों तक भारतीय तट से दूर उत्तर-पूर्व अरब सागर के ऊपर लगभग पश्चिम-उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ता रहेगा. मौसम विभाग ने इससे राहत की सांस ली है.
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