कांग्रेस कार्यसमिति की शनिवार सुबह 10 बजे अहम बैठक शुरू हुई. इस बैठक में कांग्रेस के नए अध्यक्ष (Congress President) समेत पूरे संगठन में चुनाव पर सहमति बनती नजर आ रही है. कांग्रेस कार्यसमिति (CWC Meet) की बैठक में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने कृषि कानूनों, महंगाई और लखीमपुर खीरी कांड को लेकर बीजेपी पर जमकर हमला बोला. सोनिया गांधी ने कहा कि लखीमपुर खीरी कांड ने बीजेपी की मानसिकता उजागर कर दी है. उन्होंने अर्थव्यवस्था को लेकर कहा कि सरकार की सिर्फ एक नीति है, बेचो, बेचो और बेचो. उन्होंने पार्टी में असंतुष्टों को नसीहत देते हुए कहा कि मीडिया के जरिये वे उनसे बात न करें. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि कांग्रेस (Congress) की इस शीर्ष निर्णय लेने वाली कांग्रेस कार्य समिति (Congress Working Committee) की बैठक में संगठनात्मक चुनावों को हरी झंडी दे दी गई है अध्यक्ष पद के लिए अंतरिम चुनाव की बजाय पूर्णकालिक कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव शामिल है.वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी थीं. कांग्रेस कार्यसमिति (CWC Meet) की शनिवार को सुबह 10 बजे अहम बैठक होने वाली है.बैठक में कांग्रेस के नए अध्यक्ष (Congress President) के चुनाव पर कोई फैसला हो सकता है. माना जा रहा है कि जिले से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सदस्यता की चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक सोनिया गांधी के अध्यक्ष पद पर बने रहने के आसार हैं.
इस निर्णय पर सीडब्ल्यूसी की बैठक में मुहर लगने की संभावना है. पार्टी के असंतुष्ट नेताओं के समूह जी-23 (G-23) में शामिल गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा ने पार्टी में आंतरिक चुनाव का मुद्दा उठाया था. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस कार्यसमिति के ज्यादातर सदस्यों का मत है कि सदस्यता अभियान चलाया जाए और जमीनी स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक चुनाव कराए जाएं. इसमें कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पूर्णकालिक चुनाव शामिल है. अगले साल 2022 में यूपी, पंजाब समेत कई राज्यों में महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव होने हैं.
कई नेताओं का मानना है कि पार्टी का फोकस कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की बजाय इन राज्यों में चुनाव जीतने पर होना चाहिए. गौरतलब है कि कांग्रेस की आंतरिक कलह पिछले साल उस वक्त सतह पर आ गई थी, जब जी-23 नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था. इसमें पार्टी में व्यापक बदलाव की बात कही गई थी और इन नेताओं ने "मुखर और प्रभावी नेतृत्व" की मांग उठाई थी. उसके बाद से कई नेता गांधी परिवार को यह याद दिला चुके हैं कि जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं हुई है.
वहीं कांग्रेस पंजाब (Punjab Congress)से लेकर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) तक संकट का सामना कर रही है. कांग्रेस पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, सुष्मिता देव और लुइजिन्हो फलेरियो जैसे नेताओं का साथ भी खो चुकी है. यह पलायन कांग्रेस के युवा नेताओं में शामिल ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद शुरू हुआ था. ज्योतिरादित्य को राहुल गांधी का बेहद करीबी नेता माना जाता था. राजस्थान कांग्रेस में भी सचिन पायलट की बगावत और पार्टी में दोबारा लौटने के बावजूद सब कुछ सामान्य की कवायद जारी है. छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन की मांग ने भी पार्टी की चिंताएं बढ़ा दी हैं.