कांग्रेस कार्य समिति ने 'एक व्यक्ति, एक पद' को दी मंजूरी, 'उम्र पाबंदी' और असंतुष्ट नेताओं की मांग खारिज

इनके अलावा कांग्रेस कार्यसमिति ने न्यूनतन समर्थन मूल्य (MSP) को लीगल गारंटी के रूप में देने पर मुहर लगाई है. जिला स्तर तक पार्टी संगठन को मजबूती देने के लिए CWC ने 9 अगस्त से सभी जिलों में 75KM की पदयात्रा आयोजित करने का फैसला किया है. 

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CWC ने  "एक परिवार, एक टिकट" का नियम लागू करने पर भी मुहर लगाई है.
उदयपुर/ नई दिल्ली:

राजस्थान (Rajasthan) के उदयपुर में आयोजित तीन दिवसीय चिंतन शिविर (Udaipur Chintan Shivir)  के अंतिम दिन छह समितियों से मिले सुझावों पर कांग्रेस कार्य समिति (CWC) ने आज चर्चा की और फैसला किया कि पार्टी 'एक व्यक्ति, एक पद' का नियम लागू करेगी. इसके साथ ही पार्टी की सर्वोच्च इकाई (CWC) ने असंतुष्ट नेताओं की संसदीय बोर्ड को पुनर्जीवित करने की मांग खारिज कर दी. संसदीय बोर्ड के बजाय कांग्रेस ने अब हर राज्य और केंद्र में राजनीतिक मामलों एक की समिति बनाने का फैसला किया है.

CWC ने  "एक परिवार एक टिकट" का भी नियम लागू करने पर मुहर लगाई है लेकिन जो लोग पांच साल से सक्रिय हैं उन्हें इससे छूट दी गई है. माना जा रहा है कि इस नियम के जरिए गांधी परिवार में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लिए राह आसान किया गया है. इसके अलावा पार्टी ने 50 साल से कम उम्र के लोगों के लिए 50 फीसदी सीटें आरक्षित करने का भी फैसला किया है, हालांकि पार्टी ने ऊपरी उम्र सीमा पर पाबंदी लगाने का फैसला नहीं किया.

इनके अलावा कांग्रेस कार्यसमिति ने न्यूनतन समर्थन मूल्य (MSP) को लीगल गारंटी के रूप में देने पर भी मुहर लगाई है. जिला स्तर तक पार्टी संगठन को मजबूती देने के लिए CWC ने 9 अगस्त से सभी जिलों में 75KM की पदयात्रा आयोजित करने का फैसला किया है. 

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कांग्रेस कार्य समिति ने यूथ कांग्रेस के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसमें राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए एक रिजॉल्यूशन पास कराने का अनुरोध किया गया था. समिति में जब 45 साल की उम्र सीमा पर बात हो रही थी, तब प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूछा कि मेरे जैसे लोगों का क्या होगा? इसके बाद पार्टी में अधिकतम उम्र सीमा पर पाबंदी लगाने का फैसला टाल दिया गया.

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संसदीय बोर्ड, जिसका तंत्र कांग्रेस के संविधान में निहित है, पी वी नरसिम्हा राव के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद भंग कर दिया गया था. तब से इसे पुनर्जीवित नहीं किया गया है. अगर कांग्रेस संसदीय बोर्ड का गठन करती है तो वह लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन में अहम भूमिका निभाएगी. फिलहाल यह काम पार्टी की चुनाव समिति कर रही है.

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