FIR से इनकार नहीं कर पाएगा थानेदार , एक्सपर्ट से आसान भाषा में समझिए नया कानून

सिद्धार्थ लूथरा ने बताया कि पहले ऐसा होता था कि क्राइम जिस जगह पर हुआ है हमें वहीं केस दर्ज करवाना पड़ता था. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब आप किसी दूसरे जगह भी एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं और वो फिर उस क्षेत्र में ट्रांसफर हो जाएगा. 

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

देश में सोमवार, 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. इंडियन पीनल कोड (IPC) अब भारतीय न्याय संहिता (BNS)बन गया है. कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CrPC) को अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के नाम से जाना जाएगा. वहीं इंडियन एविडेंस एक्ट (IEA) अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के नाम से जाना जाएगा. एनडीटीवी ने जानना चाहा है कि वो कौन-कौन से लाभ हैं जो कानून में बदलाव से लोगों को मिलेंगे. एनडीटीवी ने इस मुद्दे पर पूर्व एएसजी सिद्धार्थ लूथरा से बात की. 

नए बदलाव से लोगों को क्या-क्या फायदा होगा? 

  1. अब पीड़ित को एफआईआर की कॉपी मिलेगी.
  2. लोगों को 90 दिनों में पता चलेगा कि जांच कहां तक पहुंची.
  3. पीड़ितों के मामलों की अब जल्द सुनवाई होगी. 
  4. जांच में तेजी आएगी, 45 दिनों के अंदर जांच करनी पड़ेगी. 
  5. ट्रायल में लोगों को परेशानी कम होगी, 2 से अधिक स्थगन नहीं मिलेगी.

ऑनलाइन एफआईआर के क्या फायदे होंगे?
सिद्धार्थ लूथरा ने बताया कि पहले ऐसा होता था कि क्राइम जिस जगह पर हुआ है हमें वहीं केस दर्ज करवाना पड़ता था. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब आप किसी दूसरे जगह भी एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं और वो फिर उस क्षेत्र में ट्रांसफर हो जाएगा. 

यह महिला फ्रेंडली है: वरिष्ठ वकील विराग गुप्ता
नए कानूनों को लेकर वरिष्ठ वकील विराग गुप्ता ने बताया कि इस बदलाव के माध्यम से कई अच्छी बातें की गयी है. निर्भया कांड के बाद भी कानून में सख्ती की गयी थी. विराग गुप्ता ने बताया कि लड़के और लड़कियों के उम्र को बराबर 18 साल कर दिया गया है. दूसरी बात महिलाओं से जुड़े मामलों के लिए महिला जज और महिला पुलिस की भूमिका को सुनिश्चित कर दिया गया है. मेडिकल रिपोर्ट का समय भी तय कर दिया गया है. क्लोजर रिपोर्ट में भी बदलाव किया गया है.  उन्होंने कहा कि यह महिला फ्रेंडली कानून है. इसमें कोई 2 राय नहीं है. 

Advertisement

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में हुए अहम बदलाव

  1. भारतीय दंड संहिता (CrPC) में 484 धाराएं थीं, जबकि  भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में531 धाराएं हैं. इसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ऑडियो-वीडियो के जरिए साक्ष्य जुटाने को अहमियत दी गई है. 
  2. नए कानून में किसी भी अपराध के लिए अधिकतम सजा काट चुके कैदियों को प्राइवेट बॉन्ड पर रिहा करने की व्यवस्था है.
  3. कोई भी नागरिक अपराध होने पर किसी भी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज करा सकेगा. इसे 15 दिन के अंदर मूल जूरिडिक्शन, यानी जहां अपराध हुआ है, वाले क्षेत्र में भेजना होगा.
  4. सरकारी अधिकारी या पुलिस अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अथॉरिटी 120 दिनों के अंदर अनुमति देगी. यदि इजाजत नहीं दी गई तो उसे भी सेक्शन माना जाएगा.
  5. एफआईआर दर्ज होने के 90 दिनों के अंदर आरोप पत्र दायर करना जरूरी होगा. चार्जशीट दाखिल होने के बाद 60 दिन के अंदर अदालत को आरोप तय करने होंगे. 
  6. केस की सुनवाई पूरी होने के 30 दिन के अंदर अदालत को फैसला देना होगा. इसके बाद सात दिनों में फैसले की कॉपी उपलब्ध करानी होगी.
  7. हिरासत में लिए गए व्यक्ति के बारे में पुलिस को उसके परिवार को ऑनलाइन, ऑफलाइन सूचना देने के साथ-साथ लिखित जानकारी भी देनी होगी.
  8. महिलाओं के मामलों में पुलिस को थाने में यदि कोई महिला सिपाही है तो उसकी मौजूदगी में पीड़ित महिला का बयान दर्ज करना होगा.   
     

 ये भी पढ़ें-:

मर्डर अब '302' नहीं, '103'... IPC खत्म, आज से लागू हो गए कानून, हर एक बात जानिए

Featured Video Of The Day
Union Budget 2025: कहने को 1 फरवरी, लेकिन Middle Class को आज मिला मोदी सरकार से असली New Year Gift!
Topics mentioned in this article