केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से इस्तीफा देने की मांग से रविवार को राज्य में सियासी तूफान मचता दिखा. सत्ताधारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने इस कदम को विश्वविद्यालयों में आरएसएस के सदस्यों की नियुक्ति का प्रयास बताया, जबकि कांग्रेस नीत यूडीएफ ने इसके विपरीत इस कदम का स्वागत किया है. माकपा सचिव एमवी गोविंदन ने कहा कि राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल का हालिया फैसला अनोखा है और यह उनके इस तरह के अन्य फैसलों में से एक है. देरी से ही सही, लेकिन राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने इस फैसले का स्वागत किया.
संवाददाताओं से यहां बातचीत में गोविंदन ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि नौ कुलपतियों से इस्तीफा देने की मांग उस योजना का हिस्सा है जिसके तहत राज्याल का इस्तेमाल करके आरएसएस के सदस्यों और इसके करीबियों को पिछले दरवाजे से विश्वविद्यालयों के अहम पदों पर नियुक्त करना है. उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक एजेंडा है जिसका केरल राज्य विरोध करेगा.
इसके विपरीत सतीसन ने कहा कि राज्यपाल ने आखिरकार उस बात को स्वीकार कर लिया जो विपक्ष लंबे समय से कहता आ रहा था कि राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त करने में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों का उल्लंघन किया जा रहा है.सतीसन ने अपने फेसबुक पोस्ट में आरोप लगया कि इस तरह की अवैध नियुक्ति तब की गईं जब राज्यपाल और राज्य सरकार मिलकर काम कर रही थी. सतीसन ने कहा, ‘‘हम इस तथ्य का स्वागत करते हैं कि देर से ही सही, लेकिन राज्यपाल त्रुटियों को सुधारने के लिए तैयार हैं.''
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