कोरोना से उबर चुके 15% मरीजों को हो रही डायबिटीज़ की समस्या

विशेषज्ञ बताते हैं कि कोरोनावायरस पैंक्रियाज यानी अग्नाशय पर हमला करता है. उसके अंदर इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देता है. इससे इंसान को डायबिटीज होने की आशंका बढ़ जाती है.

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कोरोना से रिकवर हो चुके कई मरीज अब शुगर लेवल बढ़ने की समस्‍या से जूझ रहे हैं (प्रतीकात्‍मक फोटो)
मुंंबई:

अब तक यही सुना गया था कि डायबिटीज़ (Diabetes) के कारण कोविड का संक्रमण और घातक रूप लेता है. लेकिन अब विशेषज्ञ बता रहे हैं कि कोविड के कारण भी डायबिटीज़ की समस्या पैदा हो रही है. जानकारी के अनुसार, क़रीब 15% कोविड मरीज़ ऐसे हैं जिन्हें कोरोना संक्रमण से पहले डायबिटीज नहीं था, लेकिन संक्रमण के बाद उन्हें डायबिटीज हुआ. इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को कोविड नष्ट करता है. 82 साल के शांताराम पाटिल को कभी शुगर की तकलीफ़ नहीं थी, 28 मई को वे कोविड पॉज़िटिव पाए गए.कोविड से ठीक हुए लेकिन पंद्रह दिन बाद डायबटीज़ और म्युकरमायकोसिस के साथ मुंबई के लायंज़ क्लब हॉस्पिटल में भर्ती हुए. डॉक्टर बताते हैं कि क़रीब 15% कोविड मरीज़ कोविड के बाद डायविटीज़ के शिकार हो रहे हैं, ये ऐसे मरीज़ हैं जिनकी मेडिकल हिस्ट्री में डायबिटीज का नामोनिशान नहीं था.

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लायंस क्लब हॉस्पिटल, मुंबई के डॉ सुहास देसाई बताते हैं, ‘'ये मरीज़ पोस्ट कोविड तकलीफ़ के साथ आए थे. शुगर डायग्नोस होने के साथ साथ इनके लंग्स में काफ़ी प्रभाव पड़ा था जिसको कोविड निमोनाइटिस बोलते हैं, किड्नी पर असर पड़ा है अक्यूट किड्नी इंजरी बोलते हैं, साथ ही मरीज़ को म्युकरमायकोसिस हुआ है, तो शुगर को वजह से बेहद कॉम्प्लिकेटेड फ़ॉर्म में ये पेशेंट हमारे पास प्रेज़ेंट हुआ है.10-15% कोविड मरीज़ों में हम देख रहे हैं की पहले उनको डायबटीज़ नहीं था और कोविड के बाद उनमें डायबटीज़ डायग्नोस हो रहा है.'' विशेषज्ञ बताते हैं कि कोरोनावायरस पैंक्रियाज यानी अग्नाशय पर हमला करता है. उसके अंदर इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देता है. इससे इंसान को डायबिटीज होने की आशंका बढ़ जाती है. इसके अलावा  कोविड के इलाज के लिए इस्तेमाल हुआ स्टेरॉइड भी शुगर लेवल बढ़ा रहा है.

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कई युवा मरीज़ बिना डायबटीज़ हिस्ट्री के हाई शुगर लेवल के साथ अस्पताल पहुँच रहे हैं. फोर्टिस अस्‍पताल के Diabetes & Endocrinology कंसल्‍टेंट डॉ सुधीन्द्र कुलकर्णी कहते हैं, 'अभी डेटा का अनालिसिस हो रहा है लेकिन ये ज़रूर है कि डायबटीज़ के काफ़ी नए मरीज़ पाए जा रहे हैं. कई कारण हैं, एक तो यह है कि कोविड का वायरस, बीटा सेल्ज़ यानी जहां से इंसुलिन प्रोड्यूस होता है और शुगर कंट्रोल करने के लिए महत्वपूर्ण है, को अफ़ेक्ट कर रहा है. इसके साथ ही हो सकता है कि ये ऐसे मरीज़ हों जिनको पहले से डायबटीज़ था लेकिन इन्‍हें जानकारी नहीं हो. 20, 25 और 30 साल की उम्र के लोगों को भी डायबटीज़ हो रहा है कोविड के दौरान या कोविड के बाद इनका शुगर, सिवीयर लेवल तक चला जाता है कई मरीज़ों को इंसुलिन, दवाइयां काफ़ी समय तक देनी पड़ती है.

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डॉ सुहास देसाई ने बताया, 'कोविड 19 के इलाज में जो स्‍टेरॉयड इस्तेमाल होते हैं, उससे भी शुगर लेवल बढ़ता है. ये एक कारण भी है. काफ़ी यंग मरीज़ों में कोविड के बाद इलाज के दौरान हाई लेवल शुगर दिख रहा है. ये मरीज़ प्री डाइअबेटिक फ़ेज़ में हैं, फ़ैमिली हिस्ट्री है, मोटापा है, और स्टेरॉइड एक फ़ैक्टर है लेकिन कई केसेज़ में बिना स्टेरॉइड के इस्तेमाल के भी कोविड मरीज़ डायबिटिक हो रहे हैं.' युवा मरीज़ों में डायबिटीज़ की समस्या रिवर्स हो सकती है यानी ठीक होने की उम्मीद ज़्यादा है, बशर्ते शुगर की जाँच समय समय पर होती रहे.

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