कोरोना वायरस के नए वेरिएंट JN.1 के क्या है लक्षण? इसे कैसे पहचानें

सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि नया वेरिएंट JN.1, (Corona JN.1 Variant) ओमीक्रॉन का एक उप-वेरिएंट है. इसीलिए उम्मीद जताई जा रही है कि इसका व्यवहार भी ओमीक्रॉन की तरह ही होगा, जो अन्य वेरिएंट की तुलना में हल्का था.

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कोरोना के नए वेरिएंट JN.1 को कैसे पहचानें

नई दिल्ली:

कोरोना के नए सब वेरिएंट जेएन.1 के सामने आते ही देशभर में चिंता बढ़ गई है. वहीं कोरोना (Coronavirus JN.1 Variant) Symptoms) के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. बढ़ते संक्रमण को देखते हुए  कई राज्यों ने मास्क संबंधी सलाह जारी करना शुरू कर दी है. वहीं विशेषज्ञ तेजी से कोरोना परीक्षण का सुझाव दे रहे हैं. पिछले 24 घंटों में देश भर में कोरोना के 358 मामले सामने आए, जिनमें से 300 मामले केरल में मिले हैं. इस दौरान संक्रमण से छह  मौतें भी हुईं. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में वर्तमान में कोरोना के 2,669 सक्रिय मामले हैं.

बुधवार को सामने आए  614 केस मई के बाद से सबसे अधिक थे. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने JN.1 वेरिएंट को क्लासिफाइड किया है. साथ ही कहा है कि इससे बहुत ज्यादा जोखिम नहीं है.  कोरोना के नए वेरिएंट के क्या-क्या लक्षण हैं आपको बताते हैं.

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कोरोना के नए वेरिएंट जेएन.1 के लक्षण

  • बुखार
  • बहती नाक
  • गला खराब होना
  • सिर दर्द
  • कुछ मामलों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं
  • अत्यधिक थकान
  • थकावट और मांसपेशियों में कमजोरी

ये लक्षण दिखते ही तुरंत कराएं कोरोना टेस्ट

डॉक्टरों का सुझाव है कि अगर लक्षण दो दिन से अधिक समय तक बने रहें तो ही कोविड टेस्ट जरूर कराएं. डब्ल्यूएचओ की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने संक्रमण में बढ़ोतरी के नए दौर पर एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि कोरोना को सामान्य सर्दी के रूप में न लेने को लेकर आगाह किया. उन्होंने कहा कि अगर गंभीर रूप से बीमार हैं और लंबे समय तक प्रभाव देखे जा रहे हैं, तो इसे सामान्य सर्दी जुकाम न समझें.  

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नए वेरिएंट में ज्यादा संक्रमण फैलाने की क्षमता-सौम्या स्वामीनाथन

उन्होंने कहा कि नया वेरिएंट JN.1, ओमीक्रॉन का एक उप-वेरिएंट है. इसीलिए उम्मीद जताई जा रही है कि इसका व्यवहार भी ओमीक्रॉन की तरह ही होगा, जो अन्य वेरिएंट की तुलना में हल्का था. लेकिन फिर भी हर नए वेरिएंट में ज्यादा संक्रमण फैलाने के गुण होते हैं. डब्ल्यूएचओ की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक ने बताया कि यह स्ट्रेन हमारे सिस्टम में पहले से मौजूद एंटीबॉडी की वजह से सुरक्षित रखने में  सक्षम है.

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