भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इंसाकॉग) (Indian Sars cov2 Genomics Consortium) ने कहा है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) के डेल्टा स्वरूप (Delta Variant) के उप-स्वरूपों (Delta Sub Variant) एवाई.1, एवाई.2 के डेल्टा से अधिक संक्रामक होने की संभावना नहीं है. इंसाकॉग ने हालिया बुलेटिन में यह भी कहा कि एवाई.3 को डेल्टा के नए उप-स्वरूप के रूप में चिह्नित किया गया है. बुलेटिन में कहा गया कि इस उत्परिवर्तन के बारे में कोई महत्वपूर्ण सामग्री नहीं है, लेकिन इंसाकॉग इसपर लगातार नजर रखेगा.
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इंसाकॉग ने कहा, ‘‘न तो एवाई.1 के और न ही एवाई.2 के डेल्टा से अधिक संक्रामक होने की संभावना है. भारत में जून से वे उपलब्ध अनुक्रमणों में लगातार एक प्रतिशत से भी कम बने हुए हैं.'' साथ ही कहा कि महाराष्ट्र के रत्नागिरि और जलगांव, मध्य प्रदेश के भोपाल और तमिलनाडु के चेन्नई चार ‘क्लस्टर' में इसके तेजी से फैलने के कोई संकेत नहीं मिले हैं.
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इंसाकॉग ने कहा कि भारत के सभी हिस्सों में हालिया नमूनों में डेल्टा स्वरूप (बी.1.617.2) की मौजूदगी मिली है और वैश्विक स्तर पर भी यह तेजी से फैल रहा है. भारत में इस साल मार्च से मई के बीच कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान डेल्टा स्वरूप के कारण संक्रमण तेजी से फैला था. दुनिया के बाकी हिस्सों में इस स्वरूप के कारण तेजी से संक्रमण फैल रहा है.
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