बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भारत को लेकर बढ़ती रूचि से देश को हो रहा लाभ: संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तपोषण का यह अंतर अब सालाना 4,200 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. कोविड-19 महामारी से पहले यह 2,500 अरब डॉलर था. इस बीच, वैश्विक स्तर पर बढ़ते राजनीतिक तनाव, जलवायु आपदाओं और जीवनयापन के स्तर पर वैश्विक संकट ने अरबों लोगों को प्रभावित किया है. इससे स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य विकास लक्ष्यों के मामले में प्रगति प्रभावित हुई है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भारत को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है और इससे देश को फायदा हो रहा है. ये कंपनियां विकसित अर्थव्यवस्थाओं की आपूर्ति व्यवस्था को विविध रूप देने की रणनीतियों के संदर्भ में भारत को एक वैकल्पिक विनिर्माण आधार के रूप में देख रही हैं. इससे भारत में निवेश मजबूत बना हुआ है.

संयुक्त राष्ट्र की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. ‘सतत विकास वित्तपोषण रिपोर्ट 2024: विकास के लिए वित्तपोषण एक चौराहे पर (एफएसडीआर 2024)' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास के लिए जरूरी वित्तपोषण अंतर को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर राशि जुटाने को लेकर तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है.

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तपोषण का यह अंतर अब सालाना 4,200 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. कोविड-19 महामारी से पहले यह 2,500 अरब डॉलर था. इस बीच, वैश्विक स्तर पर बढ़ते राजनीतिक तनाव, जलवायु आपदाओं और जीवनयापन के स्तर पर वैश्विक संकट ने अरबों लोगों को प्रभावित किया है. इससे स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य विकास लक्ष्यों के मामले में प्रगति प्रभावित हुई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर निवेश नरम रहने की संभावना है. इसमें कहा गया है, ‘‘इसके उलट, दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारत में निवेश मजबूत बना हुआ है. भारत को लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती रुचि से देश को लाभ हो रहा है. ये कंपनियां इसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं की आपूर्ति व्यवस्था को विविध रूप देने की रणनीतियों के संदर्भ में एक वैकल्पिक विनिर्माण आधार के रूप में देख रही हैं.''

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर मांग में नरमी, जिंसों के दाम में उतार-चढ़ाव, कर्ज की ऊंची लागत और राजकोषीय स्थिति को मजबूत बनाने के दबाव के कारण ज्यादातर विकासशील देशों में संभावनाएं भी कमजोर हैं.

इसके अनुसार, ‘‘धीमी आर्थिक वृद्धि के बीच कर्ज का ऊंचा स्तर राजकोषीय गुंजाइश को सीमित कर रहा है. इससे सरकारों के लिए उधार लेना और निवेश करना कठिन हो गया है. अफ्रीका और पश्चिम एशिया में संघर्षों के कारण इन क्षेत्रों के कुछ हिस्सों में निवेश बाधित है.''

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Nimisha Priya Case: Yemen में निमिषा प्रिया के मामले पर सरकार हर मुमकिन मदद कर रही: MEA
Topics mentioned in this article