कोरोना का नया स्वरूप C.1.2 हो सकता है अधिक संक्रामक, टीका सुरक्षा को दे सकता है मात : अध्ययन

दक्षिण अफ्रीका स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज एवं क्वाजुलु नैटल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लैटफॉर्म के वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप सी.1.2 का, सबसे पहले देश में इस साल मई में पता चला था.

Advertisement
Read Time: 11 mins
नई दिल्ली:

दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देशों में कोराना वायरस का एक नया स्वरूप मिला है जो अधिक संक्रामक हो सकता है तथा कोविड रोधी टीके से मिलने वाली सुरक्षा को मात दे सकता है. दक्षिण अफ्रीका स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज एवं क्वाजुलु नैटल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लैटफॉर्म के वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप सी.1.2 का, सबसे पहले देश में इस साल मई में पता चला था. 

उन्होंने कहा कि तब से लेकर गत 13 अगस्त तक यह स्वरूप चीन, कांगो, मॉरीशस, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड में मिल चुका है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 की पहली लहर के दौरान सामने आए वायरस के उपस्वरूपों में से एक सी.1 की तुलना में सी.1.2 अधिक उत्परिवर्तित हुआ है जिसे ‘रुचि के स्वरूप' की श्रेणी में रखा गया है. 

'यूरोप में 1 दिसंबर तक कोरोना से 236,000 और लोगों की हो सकती है मौत' : WHO की चेतावनी

उन्होंने कहा कि सी.1.2 में अन्य स्वरूपों-‘चिंता के स्वरूपों या रुचि के स्वरूपों' की तुलना में अधिक उत्परिवर्तन देखने को मिला है. वैज्ञानिकों ने कहा कि सी.1.2 अधिक संक्रामक हो सकता है तथा यह कोविड रोधी टीके से मिलने वाली सुरक्षा को चकमा दे सकता है. एक अध्ययन में पाया गया कि दक्षिण अफ्रीका में सी.1.2 के जीनोम हर महीने बढ़ रहे हैं. यह मई में 0.2 प्रतिशत से बढ़कर जून में यह 1.6 प्रतिशत हो गया और जुलाई में यह दो प्रतिशत हो गया.

इसमें बताया गया, ‘यह देश में बेटा एवं डेल्टा स्वरूपों में वृद्धि की ही तरफ है.' विषाणु वैज्ञानिक उपासना राय ने कहा कि यह स्वरूप सी.1.2 के विभिन्न उत्परिवर्तन का परिणाम है जो प्रोटीन में बढ़ोतरी के कारण मूल वायरस से काफी अलग हो जाता है. मूल वायरस की पहचान 2019 में चीन के वुहान में हुई थी.

मुंबई : चिल्ड्रन होम में रहने वाले 54 बच्चे कोरोना पॉजिटिव, लंबी खांसी और बुखार की हो रही है शिकायत

Advertisement

कोलकाता के सीएसआईआर-भारतीय रासायनिक जैव विज्ञान संस्थान की राय ने कहा, ‘इसका संचरण अधिक हो सकता है और इसके तेजी से फैलने की संभावना है. बढ़े हुए प्रोटीन में कई उत्परिवर्तन होते हैं, जिससे यह रोग प्रतिरोधी क्षमता के नियंत्रण में नहीं होगा और अगर फैलता है तो पूरी दुनिया में टीकाकरण के लिए चुनौती बन जाएगा.'  सी.1.2 के आधे से अधिक सीक्वेंस में 14 उत्परिवर्तन हुआ है लेकिन कुछ सीक्वेंस में अतिरिक्त बदलाव भी देखा गया है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
IIT's में आए दिन क्यों बढ़ रहे हैं Students की खुदखुशी के मामले, देखिए ये रिपोर्ट
Topics mentioned in this article