भारत में कोरोना की तीसरी लहर का कहर अगले दो हफ्ते यानी 14 दिनों में चरम पर पहुंच सकता है. आईआईटी मद्रास के वैज्ञानिकों ने ये राय अपनी एक रिपोर्ट में जाहिर की है. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कोरोना का संक्रमण फैलने की दर ‘R Value' 14 से 21 जनवरी के बीच और कम होकर 1.57 ही रह गई है. यानी दो व्यक्तियों से तीन लोगों में कोविड-19 संक्रमण होने की संभावना है. इसमें और गिरावट आने के साथ तीसरी लहर का पीक आ जाएगा. आर-वैल्यू (R0) से पता चलता है कि एक कोविड पॉजिटिव मरीज कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है. अगर यह दर 1 से नीचे चली जाती है तो यह माना जाता है कि महामारी की स्थिति समाप्त हो गई है.
आईआईटी मद्रास की रिपोर्ट के अनुसार, 14से 21 जनवरी के बीच आर वैल्यू 1.57 दर्ज की गई, जो 7 से 13 जनवरी के बीच 2.2, 1 से 6 जनवरी के बीच चार और 25 दिसंबर से 31 दिसंबर के बीच 2.9 थी. प्रोफेसर नीलेश एस उपाध्याय और प्रोफेसर एस सुंदर की अगुवाई में आईआईटी मद्रास के मैथ्स और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर कम्प्यूटेशनल मैथमैटिक्स एंड डेटा साइंस ने कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग के जरिये ये अनुमान लगाया है. मुबंई में आर नॉट0.67, दिल्ली की आर-वैल्यू 0.98, चेन्नई की आर-वैल्यू 1.2 और कोलकाता की आर-वैल्यू 0.56 है.
आईआईटी मद्रास में मैथ्स के सहायक प्रोफेसर डॉ. जयंत झा ने कहा कि मुंबई और कोलकाता की आर वैल्यू दर्शाती है कि वहां महामारी का पीक खत्म हो गया है. दिल्ली और चेन्नई में यह अब भी 1 के करीब है. इसकी एक वजह ये है कि ICMR (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) के नए दिशानिर्देशों के अनुसार संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है. पहले की तुलना में महामारी संक्रमण के कम मामले सामने आ रहे हैं.
कोरोना वायरस का चरम 6 फरवरी तक यानी आगामी 14 दिन में आ जाएगा. इससे पहले पूर्वानुमान था कि एक फरवरी से 15 फरवरी के बीच तीसरी लहर का चरम आएगा. भारत में रविवार को संक्रमण के 3.33 लाख नए केस आने के बाद संक्रमितों की कुल संख्या 3.92 करोड़ से ज्यादा हो गई. तीसरी लहर के लिए कोविड-19 के ओमिक्रॉन वैरिएंट को मुख्य तौर पर जिम्मेदार माना जा रहा है.