दिल्ली और हरिद्वार में धर्म संसद पर अवमानना का मामला चलाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. साथ ही उत्तराखंड सरकार को इस केस से मुक्त कर दिया है. शुक्रवार को हुई सुनवाई में उत्तराखंड सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसने इस मामले की सुनवाई कर रही दूसरी पीठ के पास समय से ही जवाब और कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल कर दिया था. इसके बावजूद याचिकाकर्ता ने सरकार, जिला प्रशासन और पुलिस के खिलाफ अवमानना की अर्जी दाखिल की है.
कोर्ट ने कहा कि चूंकि जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ही इस मामले की सुनवाई पहले भी कर चुकी है. लिहाजा इसे वहीं भेजा जा सकता है. याचिकाकर्ता ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने अब तक ऐसे लोगों के खिलाफ न तो कोई ठोस कार्रवाई की है और ना ही कोई जवाब कोर्ट में दाखिल किया है. इसके बाद अदालत ने दिल्ली पुलिस को कहा है कि वो अपना जवाब दाखिल करे.
दस अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने तुषार गांधी की अवमानना याचिका पर उत्तराखंड सरकार और दिल्ली पुलिस से तथ्यात्मक स्थिति और की गई कार्रवाई पर हलफनामा मांगा था. सुनवाई के दौरान जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली ने कहा था कि इस स्तर पर वह तुषार गांधी द्वारा दायर अवमानना याचिका में नोटिस जारी नहीं करेंगे.
दरअसल तुषार गांधी ने एक अवमानना याचिका में डीजीपी, उत्तराखंड पुलिस और दिल्ली पुलिस द्वारा धर्म संसद में प्रमुख व्यक्तियों द्वारा दी गई हेट स्पीच के संबंध में कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है. गांधी के वकील शादान फरासत ने कहा था कि संबंधित राज्यों की पुलिस ने तहसीन एस पूनावाला बनाम भारत सरकार में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार कोई कार्रवाई नहीं की है, जिसमें हेट क्राइम और मॉब लिंचिंग के संबंध में दंडात्मक और उपचारात्मक उपाय को लेकर गाइडलाइन जारी की गई थी.
उन्होंने वर्तमान अवमानना याचिका के आधार का उल्लेख किया जो 17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन 'धर्म संसद' और दिल्ली में 19 दिसंबर, 2021 को हिंदू युवा वाहिनी के सदस्यों द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में किए गए हेट स्पीच से संबंधित है. उन्होंने कहा कि ये भाषण स्पष्ट रूप से घृणास्पद थे.
संबंधित राज्य पुलिस ने तहसीन पूनावाला फैसले में जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है. उपरोक्त घटनाओं में हेट स्पीच देने वाले 9 लोगों में से केवल 2 को गिरफ्तार किया गया है और 7 के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है.
याचिका में कहा गया है कि घटनाओं के तुरंत बाद हेट स्पीच के भाषण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराए गए थे, लेकिन फिर भी उत्तराखंड पुलिस ने FIR दर्ज करने में 4 दिन का समय लिया. वह भी केवल एक व्यक्ति के खिलाफ, जबकि कम से कम सात अन्य थे, जिन्होंने हरिद्वार में धर्म संसद में अल्पसंख्यक समुदाय का नरसंहार का आह्वान किया था. लगातार सार्वजनिक विरोध और सोशल मीडिया पर हंगामे के बाद ही अन्नपूर्णा धर्मदास, सागर सिद्धू महाराज और यति नरसिंहानंद गिरि के नाम FIR में जोड़े गए.
घटना के लगभग 2 सप्ताह बाद 2 जनवरी 2022 को यति नरसिंहानंद गिरि, सिंधु सागर, धर्मदास, परमानंद, साध्वी अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण, प्रबोधानंद गिरी और जितेंद्र नारायण त्यागी के खिलाफ एक और FIR दर्ज की गई, वो भी मामूली धाराओं के तहत थी.