कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बाह्य कारकों को देश में बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकती है. ऐसा ही रहा तो भारत के विकास का अनुमान और भी घटता चला जाएगा. एनडीटीवी के इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था से केवल मौजूदा केंद्र सरकार ही खुश है. लेकिन मेरा मानना है कि ये अंधेरे में तीर चलाने जैसा है.
उन्होंने उदाहरण के तौर पर पेट्रोलियम उत्पादों पर करों का हवाला देते हुए कहा, "सरकार कहती है, हम कुछ नहीं कर सकते, यह बाहरी कारकों के कारण है. अगर ऐसा है तो फिर आप सरकार में क्यों हैं?" राज्यसभा सदस्य ने तर्क दिया, " सरकार को पेट्रोल और डीजल पर लालची उपकर में कटौती करने की जरूरत है."
उन्होंने कहा, "अन्य देशों के साथ तुलना करने का कोई मतलब नहीं है." देश की सरकार को निवेश आकर्षित करने के लिए "एक प्रयास" करना होगा. उन्होंने कहा, "हम तेजी से आयात पर निर्भर हो रहे हैं. मुझे नहीं लगता कि सरकार इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ कर रही है." विकास दर पर, उन्होंने हाल ही में विश्व बैंक के आकलन का हवाला दिया कि भारत की अर्थव्यवस्था अगले दो वर्षों में धीमी हो जाएगी.
विश्व बैंक ने कल 2022-23 के लिए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था, जो कि बिगड़ते अंतरराष्ट्रीय वातावरण का हवाला देते हुए जून 2022 के अनुमानों से एक प्रतिशत अंक की गिरावट है.
लेकिन चिदंबरम ने कहा, " 6.5 फीसदी भी आशावादी हैं." उन्होंने कहा कि मुफ्त राशन योजना "एक नैतिक दायित्व है - फ्रीबी नहीं - जब तक कि बड़ी संख्या में गरीब लोग हैं, और कुपोषण है. हम गरीब और कमजोर होते जा रहे हैं." उन्होंने कहा, "हमारे एक तिहाई बच्चे अविकसित हैं. आपको तब तक भोजन उपलब्ध कराना होगा जब तक कि उनके पास भोजन खरीदने के लिए आय न हो."
उन्होंने कहा कि महंगाई को कंट्रोल करने लिए सबसे पहले सो रही सरकार को जगने की जरूरत है. साथ ही ये समझने की जरूरत है कि स्थिति क्या है. ऐसा नहीं हुआ तो विकास दर तिमाही दर तिमाही धीमी होती जाएगी."
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