कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने एनडीटीवी को एक रिपोर्ट को शेयर करते हुए भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है. एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में दिखाया था कि कैसे मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी में फर्जीवाड़ा चल रहा था. एनडीटीवी ने पिछले साल इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया था, जिसके बाद एक आयोग का गठन हुआ था. अब आयोग की रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कई गंभीर खुलासे हुए हैं. एनडीटीवी की रिपोर्ट बताती है कि आयोग की जांच में सामने आया है कि प्रश्न पत्र बनाने से लेकर उत्तर पुस्तिका जांचने, रिवैल्यूएशन से लेकर मार्कशीट जारी करने में गंभीर अनियमितता हुई है.
इस रिपोर्ट पर दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि इसे कहते हैं 'मामू का व्यापम मॉडल'. उन्होंने टि्वटर पर लिखा है, 'भाजपा शासित राज्यों में यह सुनियोजित तरीक़े से हो रहा है. इसे कहते हैं मामू का “व्यापम मॉडल”. अब यह यहीं तक सीमित नहीं है मोदी-शाह की भाजपा सरकार में रेलवे भर्ती या National Testing Agency द्वारा NEET परीक्षा में भी OMR में छेड़छाड़ के आरोप हैं.'
मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी में चल रहा था पास-फेल का खेल, जांच रिपोर्ट में खुली पोल
क्या है पूरा मामला
साल 2011 में जबलपुर में शुरू की गई मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा राज्य के सारे एमबीबीएस, डेंटल, नर्सिंग, आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथी, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, पैरामेडिकल के कोर्स संचालित होते हैं. पिछले फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को अपना पद छोड़ना पड़ा था. एनडीटीवी की सालभर पुरानी रिपोर्ट पर जस्टिस केके त्रिवेदी की जांच कमेटी ने अपनी मुहर लगा दी है. आयोग ने पाया कि कुलपति, कुलसचिव ने एग्जाम कंट्रोलर को 12 रोल नंबर लिखकर दिए और कहा कि इन्हें पास करना है. एमबीबीएस, बीडीएस और एमडीएस के 13 स्टूडेंट को स्पेशल री-वैल्यूएशन का फायदा देकर पास कर दिया गया, जबकि यूनिवर्सिटी के अध्यादेश में री-वैल्यूएशन का नियम ही नहीं है. ये सारे छात्र एनआरआई कोटे से थे. ये वो छात्र हैं, जो री-वैल्यूएशन में भी दो बार फेल हो गए थे. इन री-वैल्यूएशन की कॉपियों की जांच की गई तो इसमें ओवर राइटिंग मिली है. ऐसी कई अनियमिताएं जांच आयोग को मिली हैं.