'विकसित भारत संकल्प यात्रा' में नौकरशाहों की तैनाती पर विपक्षी दलों ने उठाया सवाल, बीजेपी का पलटवार

विकसित भारत संकल्प यात्रा 20 नवंबर से 25 जनवरी तक देश के 2.7 लाख पंचायत क्षेत्रों में आयोजित की जाएगी.

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नई दिल्ली:

नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए शीर्ष अधिकारियों को जमीन पर भेजने के फैसले को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार और कांग्रेस पार्टी आमने-सामने है.  , कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सिविल सेवकों का इस्तेमाल प्रचार के लिए किया जा रहा है. वहीं बीजेपी ने सवाल उठाया है कि विपक्षी दलों को नौकरशाहों के जमीनी स्तर पर काम करने से क्या समस्या है. 

विकसित भारत संकल्प यात्रा 20 नवंबर से 25 जनवरी तक देश के 2.7 लाख पंचायत क्षेत्रों में आयोजित की जाएगी. पिछले 9 वर्षों में केंद्र सरकार की योजनाओं की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने और जागरूकता फैलाने के लिए संयुक्त सचिव या उप सचिव रैंक के अधिकारियों को जिला रथ प्रभारी के रूप में प्रतिनियुक्त किया जाएगा. इस कदम की कांग्रेस ने तीखी आलोचना की है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है और कहा है कि "यह जरूरी है कि सरकारी मशीनरी को राजनीति से दूर रखा जाए".

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि अधिकारियों को सरकार की पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों का ‘‘प्रचार'' करने का हालिया आदेश ‘‘नौकरशाही का राजनीतिकरण'' है. अपने पत्र में खरगे ने 18 अक्टूबर को जारी सरकारी आदेश पर आपत्ति जताई और दावा किया कि आदेश में संयुक्त सचिव, निदेशक और उपसचिव जैसे उच्च रैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को देश के सभी 765 जिलों में ‘‘रथ प्रभारी'' के रूप में तैनात किया जाना है, जो ‘‘भारत सरकार की पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों का प्रचार करेंगे.''

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कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हालांकि, सरकारी अधिकारियों द्वारा सूचना प्रसारित करना स्वीकार्य है, लेकिन उन्हें ‘जश्न मनाने' और उपलब्धियों का ‘प्रचार' करने के लिए मजबूर करना, उन्हें स्पष्ट रूप से सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक कार्यकर्ता में बदल देता है. कांग्रेस अध्यक्ष ने रक्षा मंत्रालय के भी एक आदेश पर सवाल खड़ा किया है जिसमें ट्टी पर गए सैनिकों से "सैनिक-राजदूत" के रूप में सरकारी योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए कहा गया है. खरगे ने कहा कि लोकतंत्र में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सशस्त्र बलों को राजनीति से दूर रखा जाए. प्रत्येक जवान की निष्ठा राष्ट्र और संविधान के प्रति है. उन्होंने कहा कि सैनिकों को "सरकारी योजनाओं का विपणन एजेंट" बनने के लिए मजबूर किया जा रहा है. यह सशस्त्र बलों के राजनीतिकरण की दिशा में खतरनाक कदम है. 

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सरकार के इस कदम का वामपंथियों ने भी आलोचना की है. सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि सरकारी मशीनरी का इस तरह का व्यापक दुरुपयोग भारत में कभी नहीं देखा गया है. हर विभाग को नरेंद्र मोदी सरकार के तहत जो हासिल हुआ है उसका प्रचार करने के लिए कहा जा रहा है. 

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वहीं, कांग्रेस की आपत्ति पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि सार्वजनिक सेवा का प्रसार उसके (कांग्रेस) लिए एक ‘‘अनूठी अवधारणा'' हो सकता है क्योंकि उसकी एकमात्र रुचि ‘‘गरीबों को गरीबी में रखना है.'' नड्डा ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मुझे यह देखकर हैरानी होती है कि कांग्रेस पार्टी को लोकसेवकों के योजनाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए जमीनी स्तर तक पहुंचने से परेशानी है.''उन्होंने पूछा, ‘‘अगर यह शासन का मूल सिद्धांत नहीं, तो और क्या है?''

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