केरल में वाइस चांसलरों की नियुक्ति पर सरकार और गवर्नर के बीच टकराव बढ़ा

गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने एपीजे अब्दुल कलाम टेक्नालॉजिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर पद की जिम्मेदारी राज्य सरकार की सिफारिश को दरकिनार करके एक वरिष्ठ अधिकारी को सौंपी

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केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और राज्य सरकार के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है.
नई दिल्ली:

केरल में वाइस चांसलरों की नियुक्ति पर राज्य सरकार और गवर्नर आरिफ मुहम्मद खान के बीच टकराव बढ़ गया है. राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गुरुवार की रात में एपीजे अब्दुल कलाम टेक्नालॉजिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर पद की जिम्मेदारी राज्य सरकार की सिफारिश को दरकिनार करते हुए केरल डायरेक्टरेट ऑफ़ टेक्निकल एजुकेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी को सौंप दी. उधर केरल और तमिलनाडु के गवर्नरों के हाल के फैसलों से नाराज़ लेफ्ट पार्टियों और डीएमके ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष को एकजुट करने की कवायद तेज कर दी है. 

गुरुवार को रात में गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने नोटिफिकेशन जारी करके राज्य सरकार की सिफारिश की ख़ारिज करते हुए डायरेक्टरेट ऑफ़ टेक्निकल एजुकेशन की सीनियर ज्वाइंट डायरेक्टर सिजा थॉमस को एपीजे अब्दुल कलाम टेक्नालॉजिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की जिम्मेदारी सौंप दी. इसके साथ ही विवाद और गहरा गया है. पिछले ही हफ्ते गवर्नर ने नौ वाईस चांसलरों की बर्खास्तगी की पहल शुरू की थी.

अब इस मसले पर राजनीतिक गतिरोध बढ़ गया है. इसी हफ्ते सीपीएम की सेंट्रल कमेटी ने तय किया है कि गवर्नरों द्वारा लिए जा रहे "असंवैधानिक" फैसलों के खिलाफ विपक्ष को एकजुट कर एक साझा विरोध का कार्यक्रम जरूरी है. लेफ्ट के वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस, एनसीपी, डीएमके सहित कई विपक्षी दलों के नेताओं से संपर्क किया है. आम आदमी पार्टी और टीआरएस के वरिष्ठ नेताओं से भी संपर्क किया है. सीपीएम के नेता एक ज्वाइंट प्रोटेस्ट मीटिंग करने की तैयारी कर रहे हैं.

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सीपीएम की सेंट्रल कमेटी के सदस्य नीलोत्पल बासु ने NDTV से कहा, "सीपीएम की सेंट्रल कमेटी ने एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें कहा गया है कि हाल के दिनों में कुछ राज्यों के गवर्नर द्वारा लिए गए "असंवैधानिक" और अलोकतांत्रिक फैसलों के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट कर एक साझा विरोध का कार्यक्रम जरूरी हो गया है."

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इस बीच तमिलनाडु में सत्ताधारी दल DMK के नेता टीआर बालू ने पार्टी के सांसदों और विपक्षी दलों को पत्र लिखकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित एक याचिका पर हस्ताक्षर करने की गुज़ारिश की है. इस याचिका में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि को पद से हटाने की मांग की गई है. 

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एनडीटीवी से बातचीत में टीआर बालू ने कहा, तमिलनाडु विधानसभा में पारित करीब 20 बिल गवर्नर के पास लंबित हैं. यह संविधान का perversion है और लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. 40 सांसदों ने अब तक गवर्नर के खिलाफ याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं. दस और सांसदों के हस्ताक्षर मिलने के बाद हम इसे राष्ट्रपति को सौपेंगे.

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लेफ्ट पार्टियों ने गवर्नरों की भूमिका पर संसद में चर्चा की मांग की है. सीपीआई के महासचिव डी राजा ने NDTV से कहा, "तमिलनाडु और केरल के गवर्नर चुनी हुई राज्य सरकारों के खिलाफ फैसले कर रहे हैं. गवर्नर पद को बनाए रखना क्यों जरूरी है? गवर्नर की पोस्ट गैरजरूरी हो गई है. गवर्नर के पद को समाप्त कर देना चाहिए. हर जगह गवर्नर और राज्य सरकारों के बीच टकराव हो रहा है. केरल, बंगाल, तमिलनाडु... गवर्नर की नियुक्ति आजकल राजनीतिक वजह से की जा रही है. गवर्नर पद का राजनीतिक दुरुपयोग हो रहा है...यह सही नहीं है. संसद को इस मसले पर विचार करना होगा कि क्या गवर्नर पद की जरूरत है?"

डीएमके और लेफ्ट पार्टियों ने गवर्नरों की भूमिका पर विपक्ष को एकजुट करने की कवायद ऐसे समय पर शुरू की है जब अगले कुछ हफ्तों में संसद का शीतकालीन सत्र होने वाला है. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष को एकजुट करने की यह नई कवायद कितनी कामयाब हो पाती है.

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