बेसमेंट में क्लास चलाने को लेकर एक महीने पहले ही की गई थी शिकायत, रिमाइंडर भी कराया, लेकिन...

दिल्ली के करोल बाग के निवासी किशोर सिंह कुशवाह ने 26 जून को राव स्टडी सेंटर में बेसमेंट में कक्षाएं चलाए जाने की शिकायत की थी और हादसे से 5 दिन पहले दिल्ली नगर निगम को रिमाइंडर भी दिया था लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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नई दिल्ली:

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर के राव स्टडी सेंटर (Rau Study Centre) में शनिवार की शाम को भारी बारिश के दौरान दुखद हादसा हुआ. इस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में अचानक बहुत तेजी से नाले का पानी भर गया जिससे सिविल सर्विसेज परीक्षा (UPSC) की तैयारी कर रहीं दो छात्राओं और एक छात्र की मौत हो गई. इस हृदयविदारक हादसे के बाद खुलासा हुआ है कि बेसमेंट में नियमविरुद्ध कक्षाएं और लाइब्रेरी संचालित किए जाने की शिकायत की गई थी लेकिन  प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. दिल्ली के करोल बाग के निवासी किशोर सिंह कुशवाह ने 26 जून को शिकायत की थी और हादसे से 5 दिन पहले दिल्ली नगर निगम को रिमाइंडर भी दिया था लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. शिकायत के पूरे एक माह बाद 27 जुलाई को हादसा हो गया.

दिल्ली के करोल बाग के निवासी किशोर सिंह कुशवाह ने 26 जून को ओल्ड राजेंद्र नगर में राव आईएएस कोचिंग के भवन के बेसमेंट में परमीशन नहीं होने के बावजूद क्लासरूम संचालित किए जाने की शिकायत शासन से की थी. उन्होंने अपनी शिकायत में लिखा था कि बेसमेंट में टेस्ट कक्षाएं संचालित की जा रही हैं जिससे विद्यार्थियों और स्टाफ को खतरा है. किसी बड़ी दुर्घटना की संभावना है.

किशोर सिंह ने लिखा था कि, इस संबंध में संबंधित संस्था (राव आईएएस) को सूचित किया तो उन्होंने कहा इसका पैसा नगर निगम कमिश्नर को जाता है. किशोर सिंह ने लिखा था कि यूपीएससी के बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान विद्यार्थियों का जीवन दांव पर लगाकर अवैध जगह पर कक्षा संचालित कर रहे हैं. उन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. किशोर सिंह ने शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर 15 जुलाई और फिर 22 जुलाई को रिमाइंडर भी भेजे थे.

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बेसमेंट में कक्षाएं संचालित करने की परमीशन नहीं

किशोर सिंह कुशवाहा ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि, ''मैंने राव आईएएस के बेसमेंट की कम्पलेंट की थी, क्योंकि बेसमेंट में कक्षाएं संचालित करने, बच्चों को बैठाने, भीड़ इकट्ठी करने की इजाजत नहीं होती है. इस संबंध में मैंने शिकायत की थी. यदि प्रशासन उस पर कदम उठाता तो यह दुर्घटना नहीं होती.'' 

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उन्होंने बताया कि, ''मैंने 26 जून को शिकायत की थी. मैंने पब्लिक ग्रेविएंस पोर्टल के माध्यम से केंद्र सरकार को शिकायत की थी. वह शिकायत केंद्र के माध्यम से ही राज्य सरकार एवं नगर निगम कमिश्नर वगैरह, सबको आती है.'' 

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बेसमेंट के उपयोग को लेकर मापदंड का पालन नहीं

सिंह ने कहा कि, ''यदि बेसमेंट में लाइब्रेरी में दो-ढाई सौ बच्चे बैठते हैं तो उनकी जिंदगी का सवाल है. राजेंद्र नगर में बेसमेंट में जो भी लाइब्रेरी चल रही हैं वे अवैध तरीके से संचालित की जा रही हैं. न तो उनकी फायर एनओसी होती है, न सेफ्टी परपज को लेकर कोई एनओसी होती है. सीढ़ियों के आकार के लिए जो मापदंड हैं वह भी पूरे नहीं होते. तीन-चार फीट चौड़ी सीढ़ियों से इतने बच्चे एक साथ नहीं निकल सकते. कोई भी दुर्घटना हो सकती है.'' 

उन्होंने कहा कि, ''यह दुर्घटना प्रशासन की लापरवाही से हुआ. यदि प्रशासन सख्त कदम उठाता तो यह दुर्घटना नहीं होती. प्रशासन में भ्रष्टाचार होता है, वह ऐसे मामलों में भी एनओसी दे देता है. फिर प्रशासन समय-समय पर यह जांच करने के लिए भी नहीं जाता कि नियमों का पालन हो रहा है या नहीं हो रहा. इस हादसे के लिए एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) ही पूरी तरह जिम्मेदार है. यहां के दुकानदार बताते हैं कि एमसीडी के लोग अलग से हर माह वसूली करते हैं.''

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