कोरोना से मौत पर मुआवजा मामला : SC ने केंद्र से कहा- गाइडलाइन जारी कर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करें

सुप्रीम कोर्ट ने कोविड मरीज के खुदकुशी करने वाले को कोविड से मौत ना मानने के फैसले पर फिर से विचार करने को कहा.

विज्ञापन
Read Time: 16 mins
प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 23 सितंबर तक कोविड से हुई मौत पर मुआवजा देने की गाइडलाइन जारी कर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए. सुप्रीम कोर्ट ने कोविड मरीज के खुदकुशी करने वाले को कोविड से मौत ना मानने के फैसले पर फिर से विचार करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गाइडलाइन में कुछ मुद्दे हैं, जिन पर सरकार फिर से विचार करे. अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी. 

टेस्टिंग की तारीख या कोविड-19 मामले (Covid-19 Cases) में चिकित्सकीय रूप से निर्धारित तारीख से 30 दिनों के भीतर होने वाली मौतों को कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों के रूप में माना जाएगा. केंद्र सरकार (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल हलफनामे में यह बात कही है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कोविड से संबंधित मौतों के लिए ‘आधिकारिक दस्तावेज' जारी करने के लिए दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं. 

कोविड से हुई मौत पर डेथ सर्टिफिकेट (Covid Death Certificate) जारी करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी, जिसके बाद केंद्र ने मामले में हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामे में कहा गया है कि भले ही रोगी की मृत्यु अस्पताल या फिर इन-पेशेंट सुविधा की जगह हो. हालांकि, अगर कोई कोविड -19 मरीज, अस्पताल या इन-पेशेंट सुविधा में 30 दिनों से अधिक समय तक भर्ती रहता है और फिर उसकी मौत हो जाती है तो उसे कोविड -19 की मृत्यु के रूप में माना जाएगा.

साथ ही केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जहर, आत्महत्या, हत्या और दुर्घटना के कारण होने वाली मौतों के कारण होने वाली मौतों को कोविड​​​​-19 की मौत नहीं माना जाएगा, भले ही कोविड-19 भी इसके साथ हो. 

दिशानिर्देशों के अनुसार, उन कोविड-19 मामलों पर विचार किया जाएगा, जिनका निदान आरटी-पीसीआर परीक्षण, आणविक परीक्षण, रैपिड-एंटीजन परीक्षण के माध्यम से किया गया है या किसी अस्पताल या इन-पेशेंट सुविधा में जांच के माध्यम से डॉक्टर द्वारा मेडिकल रूप से निर्धारित किया गया है. 

कोविड-19 मामले जो हल नहीं हुए हैं और या तो अस्पताल में या घर पर  मौत हुई और जहां फॉर्म 4 और 4 ए में मेडिकल सर्टिफिकेट ऑफ कॉज ऑफ डेथ (एमसीसीडी) पंजीकरण प्राधिकारी को जारी किया गया है, जन्म और मृत्यु पंजीकरण (आरबीडी) अधिनियम, 1969 की धारा 10 के तहत आवश्यक, दिशानिर्देशों के अनुसार, एक कोविड​​​​-19 मृत्यु के रूप में माना जाएगा.

रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य रजिस्ट्रारों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेंगे. 

Advertisement

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि ऐसे मामलों में जहां एमसीसीडी उपलब्ध नहीं है या मृतक के परिजन एमसीसीडी में दी गई मौत के कारण से संतुष्ट नहीं हैं और जो इसके दायरे में नहीं आते हैं, ऐसे में राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जिला स्तर पर एक समिति का गठन करेंगे.

दरअसल पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह ने केंद्र को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा कि सरकार जब तक कदम उठाएगी तब तक तो तीसरी लहर भी बीत चुकी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितंबर तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.

Advertisement

- - ये भी पढ़ें - -
* 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए अगले माह के अंत तक उपलब्ध हो सकते हैं कोविड रोधी टीके
* भारत में 27,254 नए COVID-19 केस, पिछले 24 घंटे में 4.7 फीसदी कमी

Featured Video Of The Day
Delhi News: दिल्ली के बीकानेर हाउस की संपत्ति होगी कुर्क, जानें वजह
Topics mentioned in this article