पैगंबर टिप्पणी मामला : रांची में घायल हुए युवक ने कहा- छह गोलियां लगीं, चार निकाली गईं

दो घायल व्यक्तियों ने एनडीटीवी से कहा कि वे विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं थे लेकिन भगदड़ के दौरान उन्हें गोलियां लगीं

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रांची में घायल युवक अफसर ने बताया कि उसे छह गोलियां लगी थीं, शरीर से दो गोलियों अभी नहीं निकाली हैं.
रांची:

Ranchi Violence: पैगंबर (Prophet) पर बीजेपी नेताओं (BJP Leaders) की विवादित टिप्पणियों के विरोध में रांची में शुक्रवार को हुए विरोध प्रदर्शन (Protest) और हिंसा के दौरान पुलिस फायरिंग (Police Firing) में दो लोगों की मौत हो गई. इस घटना में 20 लोग घायल हो गए जिनका कि अस्पताल में इलाज चल रहा है. एनडीटीवी ने अस्पताल में भर्ती दो घायलों से बात की तो उन दोनों ने कहा कि वे विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं थे.

रांची में शुक्रवार को हुई घटना में 20 लोग घायल हुए जिनका इलाज चल रहा है. रिम्स में भर्ती घायल युवक अफसर ने एनडीटीवी से कहा कि ''मैं सामान लेने के लिए मार्केट गया था. इस बीच भगदड़ हो गई. जब वापस आ रहे थे तो गोली लग गई. हम प्रोटेस्ट में नहीं थे. सामान लेकर आ रहे थे. पुलिस फायरिंग कर रही थी और इधर से पत्थर चल रहे थे. वहां से निकलने की कोशिश की तो गोली लग गई. छह गोली लगी हैं जिसमें से चार निकल गई हैं. दो अभी नहीं निकलीं. ''

अफसर के एक परिजन सरफराज आलम ने बताया कि डॉक्टर ने कहा है कि बाकी गोलियां दो-चार दिन में निकालेंगे. उन्होंने कहा कि अफसर जुलूस में शामिल नहीं था.     

एक अन्य घायल तवारक ने बताया कि ''मैं वहां से आ रहा था. भगदड़ हुई तो हम भी दौड़ने लगे. इस बीच हमको भी गोली लग गई.  उन्होंने बताया कि प्रदर्शन नहीं कर रहे थे, लोग दौड़े तो हम भी दौड़ने लगे.''   

गोली लगने से मृत दो युवकों के परिजन दुख में डूबे हैं. उन्होंने इस घटना की जांच करने, दोषी अधिकारियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करने और मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग की है.    

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मृतक साहिल अंसारी के बड़े भाई मोहम्मद शोएब ने एनडीटीवी से कहा कि उन्हें फोन पर बताया गया कि उनके भाई को गोली लग गई है. उसे अस्पताल ले गए. वहां वह कुछ देर तक ठीक था. ऑपरेशन थिएटर में दो-ढाई घंटे उपचार चला. बाद में उसे वहां से जब आईसीयू में ले जाया जा रहा था तब वह सीरियस हो गया. उसी दौरान उसका हार्ट फेल हो गया. उन्होंने कहा कि साहिल एक सीधा लड़का था. उसका कोई रिकार्ड खराब नहीं रहा. उसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी.       

साहिल के एक परिचित एजाज अहमद ने बताया कि घटना जहां हुई साहिल वहीं काम करता था. जब दंगा होने लगा तो वह घर वापस आने लगा. इसी बीच उसे किसी ने गोली मार दी. सवाल यह है कि गोली किसने मारी. फुटेज में पुलिस प्रशासन गोली चलाता दिख रहा है. किसी भी दंगे को रोकने के लिए बहुत सारे विकल्प होते हैं. आंसू गैस छोड़ सकते हैं, पानी की बौछारें छोड़ सकते हैं, हवाई फायरिंग कर सकते हैं. लाठी चार्ज कर सकते हैं. किसी सिविलियन को सीधे शूट नहीं कर सकते. 

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एक प्रत्यक्षदर्शी मोहम्मद अमुर खुराजा ने कहा कि वहां पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन चल रहा था. दंगा-फसाद जैसा कोई मामला नहीं था. मंदिर के पास कुछ लोगों ने पथराव किया. इस पर आगे मौजूद कुछ बच्चों ने भी पथराव किया. इसके बाद भीड़ तितर-बितर हो गई. इसके बाद प्रशासन ने कोई चेतावनी दी नहीं और लोग भागने लगे. इसके बाद प्रशासन की ओर से फायरिंग शुरू हो गई. भीड़ हिंसक नहीं हुई थी, भीड़ को प्रशासन ने उकसाया था. 

उन्होंने कहा कि ''दो लोगों की मौत हो गई है. अस्पताल में भर्ती दो लोगों की हालत गंभीर है. हमारी सरकार से मांग है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच हो. जिनकी मौत हुई उनके परिवार को उचित मुआवजा मिले. प्रशासन के जो लोग दोषी पाए जाएं उन पर हत्या का केस चले.''      

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मुदस्सिर एक 16 साल का बच्चा था जो कल प्रोटेस्ट में था. वह नारे लगा रहा था और वहीं उसे गोली लगी जिससे उसकी मौत हो गई. मुदस्सिर की मां ने एनडीटीवी से कहा कि, ''मेरे बच्चे को गोली मारी गई है. उसे ऊपर से गोली मारी गई. क्या बिगाड़ा था मेरे बच्चे ने? मेरा इकलौता बच्चा मुझसे छीन लिया. सवाल है मेरा, उसे क्यों मारा?'' 

उन्होंने बताया कि घटना से पहले मुदस्सिर उनसे फोन पर बात कर रहा था. उससे कहा था कि वह भीड़ में न जाए. उसने कहा कि वह भीड़ में नहीं जाएगा, साइड में है. फोन रखने के साथ ही उसके दोस्त का फोन आया कि मुदस्सिर को गोली लग गई. उन्होंने कहा कि ''मुझे मेरे बच्चे का मुआवजा चाहिए. हमें इंसाफ चाहिए.'' 

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मुदस्सिर के पड़ोसी एमडी यूनुस ने बताया कि उससे मुदस्सिर को वहां जाने को मना किया था पर वह नहीं माना और चला गया. पथराव हुआ और उसके बाद ऊपर से गोली चलाई गई. सर में गोली लगी. 

उसके एक दोस्त ने बताया कि वह भी वहां मौजूद था. जब भगदड़ होने लगी तो वह आगे चला गया. उसके एक अन्य दोस्त ने कहा कि ''वहां अंधाधुंध गोलियां चली थीं. हम लोग जुलूस निकाल रहे थे. उसमें जाना था और वापस आ जाना था.''  

रांची में शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एसआईटी का गठन किया है. दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है. इसमें एडीजी (अभियान) संजय लाटकर और पर्यटन सचिव अमिताभ कौशल को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उन्हें एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.

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