ऐसे समय जब पावर प्लांट्स के लिए कोयले की किल्लत से जूझ रहा भारत अधिक कोयले की खुदाई की तैयारी कर रहा है, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA)की ताजा रिपोर्ट कोल सेक्टर में प्रमुख अनिश्चितताओं को लेकर चेतावनी दे रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग को 150 साल पहले के औसत तापमान पर 1.5 डिग्री तक सीमित रखने के लिए दुनिया के देशों को एनर्जी सेक्टर को तेजी से डिकार्बोनाइज (ऊर्जा के लिए कोयले के उपयोग को कम) करना चाहिए. यदि ऐसा नहीं किया गया तो हीव वेब्स, चक्रवाती तूफान और समुद्र के स्तर में वृद्धि के चलते तबाही का खतरा बढ़ सकता है. ऊर्जा निकाय IEA की यह चेतावरनी ऐसे दिन पर आई है जब देश के कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कोयला उत्पादन में इजाफे के मकसद से स्टाफ का हौसला बढ़ाने के लिए देश की सबसे बड़ी कोयला खदान का दौरा किया है.
मंगलवार को जोशी ने कहा, 'समूची दुनिया और भारत इस बात पर बहस कर रहे हैं कि कोयले का भविष्य क्या है. भारत में कोयले के स्टाक में आई गिरावट ने गर्मागर्म बहस को जन्म दे दिया है. ' गौरतलब है कि IEA में 30 विकसित देश, सदस्य देश के रूप में शामिल हैं. भारत, चीन और ब्राजील सहित आठ इसके सहयोगी देश हैं. चार देश - चिली, कोलंबिया, इजराइल और लिथुआनिया, पूर्ण सदस्यता में शामिल होने की मांग कर रहे हैं.
जहां रिपोर्ट में वर्ष 2050 तक वैश्विक स्तर पर जीरो उत्सर्जन (zero emissions) हासिल करने के लिए इस वर्ष से कोयले से चलने वाले नए बिजली संयंत्रों के निर्माण को रोकने के लिए कहा गया है, वहीं भारत इसमें वर्ष 2025 तक 36.7 GW और जोड़ेगा. यही नहीं, इसका छह माह से कम समय में अक्षय ऊर्जा क्षमता में भी 75 GW जोड़ने का लक्ष्य है. अक्षय ऊर्जा उत्पादन को दोहरी गति देना भले ही विरोधाभासी हो लेकिन यह ऊर्जा को लेकर भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है.
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