दिल्ली के राजेंद्र नगर (Rajendra Nagar) में शनिवार को कोचिंग सेंटर में हुए हादसे के बाद से संसद से लेकर सड़क तक हंगामा मचा है. मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच गया है. अविनाश दुबे नाम के छात्र ने सीजेआई से गुहार लगाई है. एनडीटीवी से बात करते हुए अविनाश दुबे ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा कोचिंग संस्थाओं की नैतिक जिम्मेदारी होती है. लेकिन किसी के साथ कुछ हो जाए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है. उन्होंने कहा कि एक कोचिंग संस्थान में आग लगने की घटना में भी कोई कदम नहीं उठाया गया. अविनाश ने बताया कि यहां छोटे से कमरे का किराया भी 8 से 9 हजार रुपये तक होते हैं. करोलबाग में तो कुछ बच्चे बेसमेंट में भी रहते हैं. किराएदार पर मकान मालिक का भी तानाशाही रवैया होता है.
700-800 छात्रों को एक ही बैच में पढ़ाया जाता है
एक अन्य छात्र ऋृत्विक साव ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि छात्रों को पहले तो सपने दिखाए जाते हैं. बाद में 700-800 छात्रों को एक ही बैच में पढ़ाया जाता है. सुविधा के नाम सबकुछ बस दिखावा होता है. इस तरह के हादसों को रोका जा सकता था. यह घटना कोई देर रात में नहीं हुई है. यह शाम में हुई. उस समय छात्रों को बचाया जा सकता था.
कड़े कानून बनाने की संसद में उठी मांग
राज्यसभा में सोमवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने राष्ट्रीय राजधानी के एक कोचिंग सेंटर में तीन विद्याथियों की पानी में डूबने से हुई मौत की घटना पर शोक व्यक्त करते हुए इसके दोषी लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की तथा देश में कुकरमुत्तों की तरह पनप रहे कोचिंग केंद्रों के नियमन के लिए कड़े कानून बनाये जाने का सुझाव दिया. उच्च सदन में प्राधिकारियों की कथित लापरवाही के कारण हाल ही में दिल्ली के एक कोचिंग संस्थान में छात्र:छात्रा की मृत्यु की दुखद घटना पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सदन में इस विषय पर सभी ने समान स्वरों में चिंता प्रकट की है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की एक सदस्य की तरफ से भी यह विषय लाया गया है जिससे पता चलता है कि इस मुद्दे की गंभीरता क्या है.
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