दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता सत्येंद्र जैन की कथित संलिप्तता वाले धन शोधन मामले में दो आरोपियों वैभव जैन और अंकुश जैन को मंगलवार को जमानत दे दी. दिल्ली के पूर्व मंत्री को राहत दिए जाने के लगभग 10 दिन बाद न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने वैभव और अंकुश को भी जमानत दे दी.
एक अदालत ने सत्येंद्र जैन को धन शोधन के एक मामले में ‘‘सुनवाई में देरी'' और ‘‘लंबे समय तक जेल में रहने'' का हवाला देते हुए 18 अक्टूबर को जमानत दे दी थी. उन्हें मई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था. यह मामला सत्येंद्र जैन के खिलाफ कथित तौर पर उनसे संबंधित चार कंपनियों के जरिए धन शोधन के आरोपों से जुड़ा है. ईडी ने दावा किया कि वैभव जैन और अंकुश जैन दिल्ली के पूर्व मंत्री के कारोबारी सहयोगी रहे हैं और उन्होंने अपराध में उनकी मदद की.
वैभव जैन की तरफ से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल और वकील मलक भट्ट ने की, जबकि अंकुश जैन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने पैरवी की. उच्च न्यायालय ने 30 सितंबर को इस आधार पर उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया कि उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र कथित रूप से अधूरा है.
सत्येंद्र जैन को 30 मई 2022 को ईडी ने इस मामले में गिरफ्तार किया था. अंकुश और वैभव को 30 जून 2022 को गिरफ्तार किया गया. धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ईडी का यह मामला 2017 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सत्येंद्र जैन के खिलाफ दर्ज केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी से संबद्ध है.
अधीनस्थ अदालत ने 2022 में धन शोधन मामले के संबंध में सत्येंद्र जैन, उनकी पत्नी और चार कंपनियों सहित आठ अन्य के खिलाफ ईडी द्वारा दायर अभियोजन शिकायत (आरोप पत्र) का संज्ञान लिया था.
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