Exclusive : टेक्नोलॉजी के जरिए कैसे हर आम आदमी तक बना रहे पहुंच - CJI चंद्रचूड़ ने बताया 'फ्यूचर प्लान'

सुप्रीम कोर्ट में हाल में हुए बदलावों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में चीफ जस्टिस ने कहा, "29 फरवरी 2024 तक 3 करोड़ मामले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुने गए. हम लगातार डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दे रहे हैं."

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नई दिल्ली:

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने एनडीटीवी से Exclusive बातचीत में कहा कि मैं न्यायिक कार्यों में टेक्नोलॉजी के उपयोग को बढ़ावा देना चाहता हूं. इस कार्य को मैं एक मिशन के तौर पर देख रहा हूं. टेक्नोलॉजी का उपयोग  कानूनी प्रणाली पर आम लोगों के विश्वास को बढ़ाएगा. CJI ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट में हम सभी मामलों को बहुत गंभीरता से लेते हैं. हो सकता है कि वो किसी के लिए छोटे मुद्दे हों, लेकिन हमारे लिए हर केस अपने आप में स्पेशन होता है.

सीजेआई ने कहा कि टेक्नोलॉजी के जमाने में हम सबको साथ लेकर चलने की कोशिश करते हैं. कोई पीछे ना छूटे, ये सुनिश्चित करने के लिए हमने '18000 सर्विस सेंटर' बनाया है. जबकि ई- कोर्ट प्रोजेक्ट का मकसद सारी ई- सुविधाएं एक जगह पर मुहैया कराना है."

वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग मोड पर 3.09 करोड़ मामलों की देश भर में हुई सुनवाई
सीजेआई ने कहा कि मुझे लगता है कि आम नागरिकों में अदालतों के प्रति आस्था और विश्वास की भावना तब जगेगी जब उन्हें हमारी उस गंभीरता का एहसास होगा.  जिसके साथ छोटे से छोटे मुद्दे पर भी अदालत को फैसला करना होता है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि "इस साल 29 फरवरी तक पूरे देश में उच्च न्यायालयों और जिला अदालतों में वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग मोड पर 3.09 करोड़ मामलों की सुनवाई की गई है."

सिस्टम में डिजिटलाइजेशन को दिया जा रहा है बढ़ावा
सुप्रीम कोर्ट में हाल में हुए बदलावों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में चीफ जस्टिस ने कहा, "29 फरवरी 2024 तक 3 करोड़ मामले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुने गए. ई- फ़ाइलिंग से लेकर पास तक की सुविधा आम लोगों को उपलब्ध है. आज की तारीख में 25 करोड़ फैसले ऑनलाइन उपलब्ध हैं. इस साल 6 मार्च तक 46 करोड़ ई-ट्रांजेक्शन हुए. ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के तीसरे फेज के जरिए 7200 करोड़ का ट्रांजेक्शन हुआ है. इससे ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के पैमाने का अंदाज़ा लग सकता है. सिस्टम में हम डिजिटल माहौल बनाना चाहते हैं."

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सुप्रीम कोर्ट में सब डिजिटल मोड में 
CJI ने बताया, "मेरी अदालत में न पेपर है न फ़ाइल है. मेरी अदालत में सब कुछ डिजिटल मोड में है. कोर्ट के कई स्टाफ इन कामों में खास तौर पर एक्सपर्ट हैं. विशेष रूप से सक्षम कर्मचारियों को विशेष सुविधाएं भी मिलती हैं. न्याय पहुंचाने के मिशन में कोई पीछे ना छूट जाए, ये हमारा मकसद है. चाहे कोई भी सत्ता में हो, हमारी चिंता आम नागरिकों के लिए है. मैं हर वक्त आम नागरिक के लिए उपलब्ध हूं."

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