बॉलीवुड में फ्लॉप..अब राजनीति में 'हिट', जानिए मोदी के 'हनुमान' चिराग पासवान की कहानी...

चिराग पासवान एनडीए के ऐसे सहयोगी हैं, जिनका लगातार दूसरे लोकसभा चुनाव में स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत रहा. पिछले चुनाव में उनकी पार्टी 6 सीटों पर चुनाव में उतरी थी और सभी सीटों पर शानदार जीत मिली. 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें गठबंधन की तरफ से 5 सीटें मिली थी और सभी पांच सीटों पर उन्हें जीत मिली.

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चिराग पासवान( Chirag Paswan) ने राजनीति में अपनी अहमियत को साबित कर दिया है. उनकी पार्टी एलजेपी (रामविलास) ने पांच लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर सबको चौंका दिया. चिराग ने मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण किया है. चिराग पहली बार केंद्र सरकार में मंत्री बने हैं.

100 प्रतिशत रहा LJP(R) का स्ट्राइक रेट
चिराग पासवान एनडीए के ऐसे सहयोगी हैं, जिनका लगातार दूसरे लोकसभा चुनाव में स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत रहा. पिछले चुनाव में उनकी पार्टी 6 सीटों पर चुनाव में उतरी थी और सभी सीटों पर शानदार जीत मिली. 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें गठबंधन की तरफ से 5 सीटें मिली थी और सभी पांच सीटों पर उन्हें जीत मिली.

बॉलीवुड में जाना चाहते थे चिराग पासवान....
राजनीति में आने से पहले चिराग बॉलीवुड में कंगना रनौत के साथ डेब्यू किया था. हालांकि, चिराग को यहां ज्यादा सफलता नहीं मिली. 2011 में तनवीर खान के निर्देशन में बनी फिल्म चिराग और कंगना लीड रोल में थे. फिल्म को दर्शकों ने ज्यादा पंसन नहीं किया और चिराग राजनीति में अपनी संभावनाएं खोजने लगे.

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2014 में चिराग को मिली पहली सफलता...
 2014 में 7 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए लोजपा ने 6 सीटों पर जीत दर्ज कर ली. चिराग पासवान जमुई से सांसद बन गए. रामविलास पासवान मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बने. इसके साथ ही राम मोदी और हनुमान चिराग की दोस्ती के चर्चे देश भर में होने लगे. यह दोस्ती तब भी चलता रहा जब एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी हो गयी.

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राजनीति में लगभग एक दशक बिताने के बाद चिराग पासवान के परीक्षा की शुरुआत हुई. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की बड़ी जीत के बाद रामविलास पासवान बिहार से राज्यसभा के लिए चुने गए. इस चुनाव के दौरान ही चिराग पासवान के अनुसार नीतीश कुमार ने रामविलास पासवान का अपमान किया. जिसके बाद दोनों के रिश्ते बिगड़ते चले गए. 

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2020 में चिराग की परीक्षा!
साल 2020 और चिराग की जिंदगी में एक तूफान सा आया. परिवार, पार्टी में टूट चुनाव आयोग से लेकर अदालत तक पहुंचा. इस दौरान चिराग ने बिहार में अलग-अलग जगह पहुंच कर अपने संगठन को भी खड़ा किया. नई टीम बनायी गयी. इस दौरान एक ही बात तय दिखा वो था नरेंद्र मोदी के प्रति विश्वास जो चिराग पासवान लगातार मंचों से दिखाते रहें. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भी तमाम अटकलें लगायी जा रही थी. चाचा पशुपति पारस किसी भी हालत में हाजीपुर सीट को नहीं छोड़ना चाहते थे. फिर सीटों को लेकर भी तनाव देखने को मिला. नीतीश कुमार से रिश्ते को लेकर भी मीडिया में खबरें लगातार चलती रही. लेकिन अंतत: चिराग पासवान की पार्टी के प्रचार में नीतीश कुमार भी पहुंचे पीएम मोदी ने कई सभाओं को संबोधित किया.

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राजनीतिक तौर पर चिराग पासवान अब हुए बेहद मजबूत
18 वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद चिराग पासवान की राजनीति एक बार फिर चमक गयी है.  उनके पास 5 सांसद हैं. साथ ही रामविलास पासवान के दौर से यह माना जाता रहा है कि लोजपा ही बिहार की एकमात्र पार्टी है जो किसी भी गठबंधन के पक्ष में वोट ट्रांसफर करवा सकती है. रामविलास पासवान और चिराग पासवान की राजनीति की यह खासियत रही है कि उनके रिश्ते विपक्ष के नेताओं से भी हमेशा अच्छे रहे हैं. बिहार में लालू परिवार के साथ चिराग पासवान के बेहद अच्छे संबंध हैं. ऐसे में आने वाले चुनावों और सरकार में चिराग पासवान की मजबूत उपस्थिति हो सकती है. 

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