पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान का सरकारी बंगला एक बार फिर चर्चा में है. बंगले में रामविलास पासवान की प्रतिमा लगाई गई है, वह भी तब जब यह बंगला केन्द्रीय रेल मंत्री आश्विनी वैष्णव को आवंटित किया गया है.
12 जनपथ के इसी बंगले में कभी रामविलास पासवान से मिलने 10 जनपथ से सोनिया गांधी आई थीं और 2004 में भारतीय राजनीति ने एक नया मोड़ ले लिया था. पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के इस बंगले ने इतिहास का बनना-बिगड़ना देखा. अब यहां मुख्य दरवाजे के बाहर उनकी मूर्ति भी लगा दी गई है. यही नहीं, बंगले के बाहर लगा बोर्ड बताता है कि ये रामविलास पासवान की स्मृति की धरोहर है.
छात्र लोजपा अध्यक्ष और प्रवक्ता यामिनी मिश्रा ने कहा, यही से रामविलास ने दलित सेना शुरु की. पिछड़ों की आवाज उठाई इस वजह से हमनें प्रतिमा लगाई है.
यह सही है कि तीन दशक से इस बंगले की पहचान रामविलास पासवान के आवास को तौर पर रही है. फिलहाल चिराग पासवान यहां रह रहे हैं. पेच बस इतना है कि उन्हें ये बंगला खाली करना है. इसे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को आवंटित किया जा चुका है.
महीने भर लगी ये मूर्ति क्या इस आवंटन को रोकने की कोशिश है? इसके पहले जगजीवन राम और चौधरी चरण सिंह के बंगलों को भी स्मृति स्थल में बदलने की कोशिश हुई लेकिन मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर बंगला को खाली करा लिया.
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