"बच्‍चे 10-15 हजार में करते हैं काम, इससे परिवार पालें या घर बनाएं " : जोशीमठ की असाढ़ी देवी

अपना घर छोड़ने की तकलीफ किस कदर है, इस सवाल पर असाढ़ी देवी ने NDTV से बिलखते हुए कहा, "कितनी मेहनत से घर बनाया था. आज वह घर टूट रहा तो तकलीफ तो होगी ही न.

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असाढ़ी देवी ने कहा, बुजुर्गों ने मेहनत करके घर बनाया, वह भी अब टूटने वाला है
जोशीमठ:

Joshimath News: जोशीमठ में घरों में आई दरारों ने यहां के लोगों को बेघर कर दिया है. जोशीमठ के सिंधार में कई लोग और परिवार अपने आशियानों को छोड़ रहे हैं. ये वे लोग हैं जो रोज कमाते खाते हैं. छोटे कमरे हैं, छोटे घर...दरारें इतनी हैं कि घर कभी भी ढह सकते हैं लेकिन सवाल यह है कि ये लोग जाएंगे कहां? सरकार की ओर से जो शिविर बनाए गए हैं उनमें भीड़ ज्‍यादा है, ठंड भी ज्‍यादा है. अपना घर छोड़ने की तकलीफ किस कदर है, इस सवाल पर असाढ़ी देवी ने NDTV से कहा, "कितनी मेहनत से घर बनाया था. आज वह घर टूट रहा तो तकलीफ तो होगी ही न. बच्‍चे बेरोजगार हैं, वे घर से बेघर हो गए. कर्जा निकालकर घर बनाया, जब आदमी था उस समय यह घर बन गया. आज बच्‍चे घर से बेघर हो गए. उनके पास रोजगार भी अच्‍छा नहीं है. केवल 10-15 हजार में काम करते हैं. इस राशि में बच्‍चे पालें या घर बनाएं...क्‍या करें? मुश्किल बढ़ रही है. 

उन्‍होंने कहा- मेरी तबीयत भी खराब है. ठंड के मौसम में होटल (राहत शिविर )भी जाएंगे तो क्‍या करेंगे. अपने घर में ओढ़ने-बिछाने के लिए है क्‍या? इस घर से जुड़ी यादों को भुला पाना बेहद मुश्किल है. उन्‍होंने कहा कि हमारे बुजुर्गों ने बहुत मेहनत करके घर बनाया, बच्‍चों के लिए घर बनाया, वह भी टूटने लग गया है...हमारे हाथ में कुछ नहीं है. आसाढ़ी देवी ने कहा कि ऐसे कई लोग हैं जिन्‍होंने बड़ी मेहनत करके घर बनाया. मेरे पति का निधन हुए 16-17 साल हो , गए. अब ऐसी स्थिति में क्‍या करेंगें, क्‍या खाएंगे. असाढ़ी देवी ने कहा, "मेरी बेटी विकलांग है. थोड़ा-थोड़ा बोल पाती है..इसके दो बच्‍चे हैं. एक लड़का और एक लड़की. समझ में नहीं आ रहा कि क्‍या करें, कहां जाएं." 

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