लक्ष्मण मेला मैदान में भोजपुरी समाज के साथ छठ पूजा में शामिल हुए सीएम योगी, यह अपील भी की

योगी ने कहा कि जल यह हमारे जीवन का प्रतीक है. हम इस जल को शुद्ध और साफ रखें, यह हमारा दायित्व बनता है. ऐसे में आयोजन के बाद आयोजकों का दायित्व बनता है कि वह खुद और प्रशासन की मदद से घाटों की नदियों के स्वच्छता कार्यक्रम से जुड़ें.

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आदित्यनाथ ने कहा कि छठ प्रकृति और परमात्मा के प्रति कृतिज्ञता ज्ञापित करने का पर्व है.
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ छठ पर्व के मौके पर रविवार शाम को लखनऊ स्थित लक्ष्मण मेला मैदान में भोजपुरी समाज के साथ पूजा में शामिल हुए. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूजा में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'छठ पूजा में आकर मुझे बड़ी खुशी हो रही है. लोक आस्था के महापर्व छठ की आप सभी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं. छठ मैया की कृपा आप सब पर बनी रहे. सबका जीवन खुशाल हो, आप सब के जीवन में उमंग और उत्साह बना रहे, परिवार के लि‍ए कठिन व्रत रखने वाली माताओं और बहनों को हमारी ओर से मंगलकामनाएं.'

उन्होंने कहा कि हमारा देश आस्था का देश है. यही आस्था हम सभी को उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम पूरे भारत को एकता के सूत्र में पिरोती है. इस आस्था ने ही विपरीत परिस्थितियों में पूरे भारत को एकजुट करके रखा है.

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि मध्यकाल में विदेशी आक्रांताओं ने धर्म स्थलों को अपवित्र और क्षतिग्रस्त किया था, लेकिन हमारी आस्था ने ही हमारी परंपरा और विरासत को संजोए रखा है. उन्होंने कहा कि दुनिया में कई देश ऐसे हैं जिन्होंने अपना भौतिक विकास तो किया लेकिन परंपरा और विरासत को भूल गए. आज उनके सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हुआ है.

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उन्होंने कहा कि हमारा देश पर्व और त्यौहारों का देश माना जाता है. देशभर में अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार की परंपराएं हैं जो वहां की लोक आस्था के साथ विशिष्ट आयोजनों से आम जनमानस को अपने साथ जोड़ती है और पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधती है.

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आदित्यनाथ ने कहा कि छठ प्रकृति और परमात्मा के प्रति कृतिज्ञता ज्ञापित करने का पर्व है क्योंकि इस पर्व पर सभी व्रती महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देने के साथ नदियों में दूध भी अर्पित करती हैं. उन्होंने कहा कि जल यह हमारे जीवन का प्रतीक है. हम इस जल को शुद्ध और साफ रखें, यह हमारा दायित्व बनता है. ऐसे में आयोजन के बाद आयोजकों का दायित्व बनता है कि वह खुद और प्रशासन की मदद से घाटों की नदियों के स्वच्छता कार्यक्रम से जुड़ें. उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में छठ पूजा का पर्व परंपरागत उल्लास के साथ मनाया गया.
 

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