छावला गैंगरेप-मर्डर केस: मृतक लड़की के परिवार ने दिल्ली पुलिस से मांगी सुरक्षा

मंगलवार को पीड़ित परिवार के समर्थन में उत्तराखंड के सामाजिक कार्यकर्ताओं और गढ़वाली समाज की मीटिंग भी हुई थी. पीड़ित पक्ष सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जल्द ही रिव्यू पिटीशन दायर करने की तैयारी कर रहा है.

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नई दिल्ली:

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के छावला में 19 साल की लड़की के साथ गैंगरेप और मर्डर मामले में पीड़ित परिवार ने दिल्ली पुलिस से सुरक्षा की मांग की है. उन्होंने दिल्ली पुलिस को बताया कि उन्हें राहुल, रवि और अनिल से खतरा है. वो कोर्ट में उन्हें जान से मारने की धमकियां देते रहे हैं. दिल्ली पुलिस का कहना है कि वो थ्रेट असेसमेंट कर रही है. उसके बाद सुरक्षा पर फैसला किया जाएगा.

बता दें कि हाईकोर्ट से दोषी ठहराए गए तीनों को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है. वहीं पीड़ित पक्ष सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जल्द ही रिव्यू पिटीशन दायर करने की तैयारी कर रहा है. मंगलवार को पीड़ित परिवार के समर्थन में उत्तराखंड के सामाजिक कार्यकर्ताओं और गढ़वाली समाज की मीटिंग भी हुई थी.

कोर्ट के युवकों को बरी किए जाने के फैसले से मृतक लड़की का परिवार बेहद आहत है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लड़की के माता-पिता ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "हम इस फैसले से टूट गए हैं, हमने 12 साल बहुत परेशानियां झेलीं हैं, आरोपी हमें कोर्ट में ही काटने की धमकियां देते थे, अंधा कानून है, हम फैसले के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे."

छावला रेप-मर्डर केस में रवि कुमार, राहुल और विनोद को अपहरण, बलात्कार और हत्या के विभिन्न आरोपों के तहत दोषी ठहराया गया था. 7 अप्रैल 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने तीन दोषियों की मौत पर फैसला सुरक्षित रखा था. सुप्रीम कोर्ट को तय करना था कि तीनों की मौत की सजा बरकरार रखी जाए या नहीं. जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था.

हालांकि दिल्ली पुलिस ने मौत की सजा कम करने की अर्जी का विरोध किया था. पुलिस का कहना था कि ये अपराध सिर्फ पीड़िता के साथ नहीं बल्कि पूरे समाज के साथ हुआ है. दोषियों को कोई रियायत नहीं दी जा सकती, क्योंकि उन्होंने ऐसा वहशियाना अपराध किया है. दोषियों ने ना केवल युवती से सामूहिक बलात्कार किया, बल्कि उसके मृत शरीर का अपमान भी किया.

दिल्ली की द्वारका अदालत ने फरवरी 2014 में तीन लोगों को 2012 में 19 वर्षीय युवती के साथ बलात्कार और हत्या के लिए दोषी ठहराया था और मौत की सजा सुनाई थी. पीड़िता का क्षत-विक्षत शरीर हरियाणा के रेवाड़ी में एक खेत में मिला था. उस पर कार के औजारों व अन्य चीजों से बेदर्दी से हमला किया गया था.

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रवि कुमार, राहुल और विनोद को अपहरण, बलात्कार और हत्या के विभिन्न आरोपों के तहत दोषी ठहराया गया था. 26 अगस्त 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने मौत की सजा की पुष्टि करते हुए कहा कि वे "शिकारी" थे, जो सड़कों पर घूम रहे थे और "शिकार की तलाश में थे". तीनों दोषियों ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.