देश में पहली बार ट्रांसजेंडर नक्सल मोर्चे पर तैनात होंगी और अपनी बहादुरी से नक्सलियों के दांत खट्टे करेंगी. दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार ने बस्तर से लड़ने के लिए 'बस्तर फाइटर फ़ोर्स' का गठन किया है और 2100 युवाओं की भर्ती की गई. जिसमें 9 ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं. समाज में सदियों से ट्रांसजेंडर के साथ भेदभाव आम बात रही. लेकिन आज़ादी के 75 साल बाद सही में ट्रांसजेंडर समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.
छत्तीसगढ़ सरकार ने पहल करते हुए ट्रंसजेंडेर की भर्ती का रास्ता आसान किया है. नक्सलियों से लड़ने के लिये बानी बस्तर फाइटर फ़ोर्स का गठन किया गया है, जिसमें बस्तर संभाग से 9 ट्रांसजेंडर की आरक्षक के रूप में भर्ती हुई है. कांकेर जिले की दिव्या निषाद जिसने फिजिकल टेस्ट में 100 में 100 पाए है. उन्होंने कहा, जब उनका स्वभाव लड़कियों की तरह होने लगा तब पापा भाई डांटते थे. मारपीट भी करते, घर छोड़कर जाने कहने लगे तो तंग आकर घर छोड़ कर रायपुर के शेल्टर होम में रहने लगी. भीख मांगकर जीवन यापन शुरू किया. रायपुर में रहते हुए जानकारी मिली कि बस्तर फाइटर में भर्ती हो रही है उसमें आवेदन किया. कड़ी मेहनत से आरक्षक में चयन हुआ अब नक्सलियों से लड़ेंगे.
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दिव्या निषाद की तरह सीमा प्रधान और हिमांशी को भी परिवार और समाज से तिरस्कार मिला. लेकिन अब ये बस्तर फाइटर में नक्सलियों से लड़ना चाहती हैं और देश की सेवा करना चाहती हैं. कांकेर एसपी शलभ कुमार सिन्हा का कहना है ये देश मे पहली बार है कि ट्रांसजेंडर नक्सल मोर्चे पर लड़ेंगी. चयन प्रक्रिया में ट्रंसजेंडेर का जज्बा शानदार रहा है. उन्हें पूरा भरोसा है नक्सल मोर्चे के साथ पुलिस के अन्य मोर्चो में बेहतर काम करेंगी. बस्तर फाइटर के लिए अंदरुनी स्तर पर लोगों को चयन की जानकारी और प्रशिक्षण दिया था. उसमें कई ट्रंसजेंडेर ने आवेदन किया. 8 लोगों का कांकेर में चयन हुआ जो हर्ष का विषय है. नक्सल मोर्चे पर तैनात होंगी.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जहां ट्रांसजेंडर को मौके दिए जा रहे हैं. नवोदित राज्य होने के बावजूद पुराने राज्य के लिए नजीर बन रहा है. ये दूसरी बार है जब बस्तर फाइटर में भर्ती हुई है.
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