60 फीट गहरे बोरवेल में फंसे बच्चे की 10 एजेंसियों के 500 जवानों ने,104 घंटे का ऑपरेशन चलाकर बचाई जान, पल-पल डरते रहे ऑपरेशन चीफ

छ्त्तीसगढ़ (chhattisgarh) के जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीड गांव में 11 साल के बच्चे को बोरवेल (borewell) से निकालने के लिए 10 एजेंसियों को लगाया गया. ऑपरेशन के दौरान इतनी अड़चनें आईं कि पल-पल लग रहा था कि हार गये.

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बोरवेल में फंसा बच्चा राहुल अस्पताल से घर पहुंच गया है

रायपुर/भोपाल:

छ्त्तीसगढ़ (chhattisgarh) के जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीड गांव में 10 जून को 11 साल का बच्चा राहुल 60 फीट गहरे बोलवेल (Bollwell) में गिर गया. जिसको सही सलामत निकालने के लिए भूपेश बधेल सरकार (Bhupesh Badhel government) ने पूरे सरकारी अमले को लगा दिया. आखिरकार सबकी मेहनत रंग लाई और 14 जून की आधी रात को राहुल को बोरवेल से निकाल लिया गया. उसे बिलासपुर के अपोलो हॉस्पटल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया.आज 25 जून को पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद राहुल को अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने छुट्टी दे दी है. एक बार फिर राहुल अपने घर पहुंच गया है. राहुल के बारेबेल में गिरने के बाद उसको निकालने के लिए तीन एजेंसियों के 500 से अधिक जवानों ने 104 घंटे तक ऑपरेशन चलाया, जिसके बाद राहुल की जान बचाई जा सकी. बोरवेल में फंसे बच्चे राहुल की मां और परिजनों ने बेटे को जिंदा पाकर कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उनके लिए भगवान हैं.

इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम देने वाले एजेंसी प्रमुखों और जिला कलेक्टर ने बताया कि राहुल को बचाते समय पल-पल में मुसीबतें आती गईं और बीच-बीच में लगने लगता था कि हम जंग हार गये, लेकिन इसी बीच उम्मीद की कोई नहीं किरण सामने आ जाती और एजेंसियां अपने काम करने का तरीका बदलती जातीं और राहुल को बचाने के लिए ऑपरेशन जारी रहा.राहुल को बचाने के लिए ऑपरेशन में जिला प्रशासन की टीम, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, पीडब्ल्यूडी, बिजली बोर्ड, खनन विभाग और एनडीआरएफ, छत्तीसगढ़ पुलिस, एसडीआरएफ और भारतीय सेना के जवानों ने हिस्सा लिया. 

राहुल के कुछ फीट ऊपर सांप दिखा
राहुल को बचाने में हर कदम पर अड़चनें आती रहीं. बोरबेल में कैंमरा डालकर देखा गया तो राहुल के कुछ फीट ऊपर सांप दिया, जिसने डर कई गुना ज्यादा बढ़ गया. बचाव दल ने भरक से रस्सी डाली जिसको राहुल ने नहीं पकड़ा. इसके बाद आवाज दी गई तो पता चला कि राहुल सुन नहीं पा रहा और बोल भी नहीं पा रहा. इससे बचाव दल के सामने और भी बड़ी परेशानी खड़ी हो गई.अब रणनीति बदली गई बोरवेल के बगल से खुदाई शुरू की गई तो 15 से 20 फीट के बाद मोटी चट्टाने मिलनी शुरूहो गई. ऐसे में एक बार फिर लगा कि क्या बच्चे की जान बच पाएगी? 

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बोरवेल में जलस्तर बढ़ने लगा 
फिलहाल बच्चे को ऑक्सीजन और केले के साथ ORS पीने के लिए दिया गया. बच्चे ने इसे खाया-पीया तो उम्मीद जगी. खुदाई चल रही थी कि बोरवेल में जलस्तर बढ़ने लगा इससे बच्चे के डूबने की आशंका पैदा हो गई. तभी इलाके के सारे बोलवेल को चालू करवा दिया गया कि जमीन का स्तर न बढ़े. 
  
55 फीट में बड़ी डोलोमाइट का चट्टान मिली
खुदाई करते हुये टीम 55 फीट से नीचे पहुंची तो बड़ा डोलोमाइट का चट्टान मिला. जिसे तोड़ते-तोड़ते टीम थक गई. एक एजेंसी के ऑपरेशन चीफ ने कहा कि टाइम हमारे पास कम था तो हमने नीचे से ना जाकर ऊपर से Tunnle डायग्नल बनाना शुरू किया ताकि बच्चे तक पहुंचा जा सके. खुदाई का काम चल रहा था चट्टान को तोड़ने में परेशानी हो रही थी. ट्रेडिशनल इक्विपमेंट सही तरीके रिजल्ट नहीं दे पा रहे थे. 

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बड़ी मशीने बड़ी समस्या बनती दिखीं
इसके बाद जिला प्रशासन ने बड़ी मशीनें लगाई. बड़ी मशीनों की समस्या वाइब्रेशन बहुत ज्यादा होता है. वाइब्रेशन ज्यादा होने पर में मिट्टी खिसक सकती थी बच्चे को चोट लग सकती थी. सांप बच्चे पर हमला कर सकता था. कई समस्याएं थीं. 
खुदाई के करते हुये 57 फीट पर कॉम्पैक्ट मिला इसको काटना असंभव रहता है. जब इसको निकाला तो 12 फीट का एक और चट्टान मिला हमारे पास छोटे ड्रिल थे, तमाम इक्वमेंट डोलोमाइट के सामने कमजोर पड़ गया. फिर भी चट्टानों को काटने का काम चलता रहा. 14 जून को रात 9.40 बजे के करीब कैमरा मॉनिटर में अचानक एक चमकदार रोशनी आई. राहुल साहू के बोरवेल तक टीम पहुंच चुकी थी. इसके बाद सबसे पहले बोरवेल में फंसे मेंढक और सांप को बाहर निकाला गया.

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राहुल को बचाने सुरंग में घुसा मोहम्मद अंजारूल 
राहुल कुछ फीट दूर था लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था. ऐसे में दुबले पतले मोहम्मद अंजारूल जो सुरंग बनाने की निजी कंपनी के साथ जुड़े हैं उन्हें राहुल को पकड़कर निकालने का जिम्मा मिला. मोहम्मद अंजारूल सेफ्टी बेल्ट लगाकर मुंह के बल नीचे उतरा वहां राहुल को सेफ्टी बेल्ट पहनाई बाहर निकाला. 
  
हर कदम पर अड़चनें आईं: मुख्यमंत्री
हर कदम पर अड़चनें आती गईं. लोगों ने सहयोग किया तब जाकर रेस्क्यू ऑपरेशन सफल हुआ. देश का सबसे कठिन ऑपरेशन था. बच्चे के साहस की दाद देनी पड़ेगी. 

ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पहुंचाया अस्पताल
राहुल के बोरवेल से निकलने के बाद पुलिस ने मोर्चा संभाला. ग्रीन कॉरिडोर बनाकर राहुल के बिलासपुर के अपोलो अस्पताल पहुंचाया गया. जो राहुल के घर से 1OO किलोमीटर दूर है. यहां करीब 10 दिन तक राहुल का इलाज चला और पूरी तरह से स्वस्थ होने पर राहुल को छुट्टी दे दी गई है.  
 

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