चेन्नई में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश हो रही है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की कोलातुर निर्वाचन क्षेत्र में चेन्नई के पेरियार नगर में रविवार को 21 सेमी बारिश हुई थी. जिसके बाद कई लोगों के घरों में पानी भर गया था. वहां रहने वाले गॉडविन एबेनेजर तीन दिन बाद अपने घर को देखने वहां पहुंचे, जैसे ही उन्होंने अपने घर का गेट खोला, बारिश के पानी से पूरे घर का सामान और फर्नीचर खराब हो चुका था.
उनका कहना है कि कई सालों से ऐसा होता आ रहा है. साल 2015 में जब शहर में बाढ़ आई थी, तभी तीन दिन के लिए उन्हें अपना घर छोड़कर जाना पड़ा था. इस बार यह फिर ऐसा ही हुआ है.
उन्होंने बताया, 'अब तक सरकारों ने हमारी दिक्कतों को दूर नहीं किया. हमें उम्मीद है कि नई सरकार हमारे लिए कम से कम कुछ तो करेगी. हम सरकार को टैक्स देते हैं.'
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निचले इलाकों में घुटने तक पानी भरा है. तीस साल पहले डवलप किया गया यह इलाका अब झील में तब्दील हो गया है. वहां के रहने वालों का कहना है कि मानसून के दौरान पानी की कोई निकासी नहीं होती है. जिसकी वजह से गलियों और सड़कों पर पानी भरा रहता है.
वहीं रहने वाले पद्मा प्रसाद का कहना है कि निगम बरसाती नालों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता है. उन्होंने बताया, 'इसके लिए एक वैज्ञानिक समाधान की जरूरत है. यह कोई रॉकेट साईंस नहीं है. इसे ठीक करना चाहिए.'
शहर में साल 2015 की बाढ़ के बाद बरसाती पानी की नालियों के निर्माण के लिए 5,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, जिसमें से ज्यादात्तर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट तहत फंड किया गया था. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने पिछली अन्नाद्रमुक सरकार को घटिया काम के लिए जिम्मेदार ठहराया क्योंकि 2015 की बाढ़ के बाद वह छह साल तक सत्ता में थी.
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निचले इलाकों में पानी निकासी की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने इसके लिए पहले की अन्नाद्रमुक सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, 'टी नगर में ऐसे हालात घटिया काम और भ्रष्टाचार की वजह से हैं. हमने केवल छह महीनों में 60 प्रतिशत तक काम किया है. बारिश के मौसम के बाद, हम चेन्नई के बाकी हिस्सों को ठीक कर देंगे और आगे ऐसे हालात ना बनें उसे रोकेंगे.'
चेन्नई कॉरपोरेशन का कहना है कि बरसाती पानी की नालियों को भारी बारिश के लिए नहीं बनाया गया है. इन्हें केवल हर साल होने वाली औसत बारिश के लिए बनाया गया था.
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