Exclusive: रामायण में 'राम-सीता' बनने के बाद कैसे बदली अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया की जिंदगी?

रामानंद सागर के सीरियल रामायण में अरुण गोविल ने प्रभु श्रीराम का ऐसा जीवंत चरित्र निभाया कि आज श्रीराम की कल्पना करने पर मन में रामायण में राम का किरदार करने वाले अरुण गोविल की छवि भी उभरती है.

विज्ञापन
Read Time: 12 mins
रामायण सीरियल में श्रीराम का चरित्र निभाने वाले अरुण गोविल (बाएं), सीताजी का रोल करने वालीं दीपिका चिखलिया और लक्ष्मण की भूमिका निभाने वाले सुनील लहरी (दाएं).
नई दिल्ली:

अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन (Ayodhya Ram Mandir)और श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा  होने जा रही है. इस अनुष्ठान के लिए देश-विदेश के रामभक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं. टीवी के श्रीराम (अरुण गोविल) और माता सीता (दीपिका चिखलिया) भी प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir Consecration)के लिए अयोध्या में हैं. रामानंद सागर के सीरियल रामायण में अरुण गोविल ने प्रभु श्रीराम का ऐसा जीवंत चरित्र निभाया कि आज श्रीराम की कल्पना करने पर मन में रामायण में राम का किरदार करने वाले अरुण गोविल की छवि भी उभरती है. बुजुर्ग लोग तो आज भी उन्हें भगवान राम मानते हुए उनके पैर छूते हैं.

Exclusive: राम मंदिर एक तरह से राष्ट्र मंदिर है, इससे हर किसी को मिलेगी प्रेरणा : अरुण गोविल
 

NDTV के साथ खास इंटरव्यू में अरुण गोविल ने बताया कि प्रभु श्रीराम का चरित्र करने से पहले और बाद की जिदंगी क्या बदलाव आया? 

अरुण गोविल ने बताया, "जिंदगी में बदलाव तो आते हैं. जो जिंदगी हम जीते हैं, जिस संगति में हम जीते हैं, जो काम हम करते हैं, वो हमारे अंतर्मन में जाता है. इसलिए थोड़ा-बहुत फर्क तो पड़ता है. राम का चरित्र करने से पहले और इसके बाद मुझमें क्या बदलाव आया? इस सवाल का जवाब मेरे आसपास रहने वाले लोग ज्यादा बेहतर तरीके से दे पाएंगे. वो ही बता पाएंगे कि मुझमें क्या बदलाव आया और क्या नहीं. हालांकि, पहले जब कुछ चीजें होती हैं, तो मेरा रिएक्शन पहले आता था. अबर रिएक्शन आता है, लेकिन अलग तरीके से."

रामायण के ऑडिशन में फेल हो गए थे अरुण गोविल, बताया आखिर कैसे मिला प्रभु श्रीराम का रोल

 

आज का युवा श्रीराम से कैसे रिलेट कर सकता है? इस सवाल के जवाब में अरुण गोविल कहते हैं, "माता-पिता... उनके बिना अधूरे हैं. हमारे भाई-बहन, वर्किंग प्लेस के साथी, कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जिनसे हमारे विचार नहीं मिलते या यूं कहें कि हमारी पटती नहीं है... वो सारी की सारी चीजों से पहले जैसी ही हैं. आज भी रिलेशनशिप वही है. आज भी ईमानदारी की परिभाषा वही है. सच बोलने की परिभाषा वही है. सारी परिभाषाएं पहले जैसे ही हैं. सिर्फ हमारे कपड़े पहनने का स्टाइल बदल गया है. काम करने के तरीके बदल गए हैं. हम डिजिटल एज में पहुंच गए हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में पहुंच गए हैं. बस उतना ही फर्क हुआ है."

उन्होंने कहा, "इंसान कभी नहीं बदलता. हमारे सोचने की शक्ति या सोचने का दायरा कभी नहीं बदलता. हमारी सोच आज भी वही है... सोच ही हमारी जिंदगी को बनाता है और हमारी जिंदगी को बिगाड़ता है. हमें अपनी सोच सही दिशा में रखनी चाहिए."

प्रभु राम का चरित्र निभाने वाले अरुण गोविल को असल जिंदगी में कैसे देखती हैं 'रामायण' की सीता?
 

रामायण सीरियल में माता सीता की भूमिका को जीवंत करने वालीं दीपिका चिखलिया कहती हैं, "सीताजी का चरित्र निभाने के दौरान मैं बहुत युवा और चंचल थी. इस उम्र में हर लड़की की जो थिंकिंग प्रोसेस होता है, वो पुरुषों से ज्यादा तेज होता है और चंचल रहता है. जब मैंने सीताजी का रोल किया तो इससे जो समझ मुझे आई, उसमें सबसे बड़ी चीज ठहराव ही था."

दीपिका बताती हैं, "मैं मानती हूं कि डेस्टिनी (भाग्य) पहले से ही लिखी होती है. आपके हाथ में क्या है? भगवान ने तो सब कुछ तय करके रखा है. आपके हाथ में कर्म करने के लिए सिवा और कुछ नहीं है. अब कर्म क्या होता है? आप मुझसे कैसे बात करते हैं और मैं आपसे कैसे बात करती हूं, यही है कर्म. लाइफ बहुत सिंपल है. हमारे हाथ में इतना ही है कि हम अच्छे से रहें. सामने वाला अपने आप अच्छे से रहेगा."

Advertisement

'रामायण' में भगवान राम का किरदार निभाने में कितनी मददगार रही अरुण गोविल की मुस्कुराहट?
 

Featured Video Of The Day
Rahul Gandhi VS EC: Opposition के ‘वोट चोरी’ के आरोपों में दम या महज सियासी सिगूफा? | Congress | BJP