प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के सफलतापूर्वक लॉन्च को भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय बताया है. पीएम मोदी ने भारतीय वैज्ञानिकों की भावना और प्रतिभा को सलाम करते हुए कहा कि यह महत्पूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. इसरो ने आज चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जो चांद के लिए भारत का तीसरा मिशन है. पीएम मोदी के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य राजनेताओं ने चंद्रयान-3 के सलफतापूर्वक लॉन्च पर वैज्ञानिकों को बधाई दी है.
पीएम मोदी ने चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक लॉन्च के बाद एक ट्वीट में कहा, "चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा है. यह हर भारतीय के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर उठाते हुए ऊंची उड़ान भरता है. यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं उनकी भावना और सरलता को सलाम करता हूं!''
इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि भारतीय अंतरिक्ष के क्षेत्र में 14 जुलाई 2023 का दिन हमेशा स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा तथा यह राष्ट्र की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाएगा.
चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण शुक्रवार को अपराह्न 2.35 बजे किया गया. चंद्रयान-3 को ले जाने वाला 642 टन वजन का, 43.5 मीटर ऊंचा रॉकेट एलवीएम-3 श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया.
मोदी ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘चंद्रयान-3 मिशन के लिए शुभकामनाएं! मैं आप सभी से इस मिशन और अंतरिक्ष, विज्ञान एवं नवाचार में की गई देश की प्रगति के बारे में और अधिक जानने का आग्रह करता हूं. इससे आप सभी बेहद गौरवान्वित महसूस करेंगे.”
प्रधानमंत्री ने कहा कि चंद्रयान-2 के प्रमुख वैज्ञानिक परिणामों में चंद्र सोडियम के लिए पहला वैश्विक मानचित्र, क्रेटर आकार वितरण पर उन्नत जानकारी, आईआईआरएस उपकरण के साथ चंद्र सतह पर जल से निर्मित बर्फ का स्पष्ट रूप से पता लगाना और बहुत कुछ शामिल है. उन्होंने कहा कि इस मिशन को लगभग 50 प्रकाशनों में चित्रित किया गया है.
उन्होंने कहा, "जहां तक भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र का प्रश्न है, 14 जुलाई 2023 हमेशा स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा. हमारा तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 अपनी यात्रा का शुभारंभ करेगा. यह उल्लेखनीय मिशन हमारे देश की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाएगा.''
इसरो का चंद्रमा पर यान को ‘सॉफ्ट लैंडिंग' कराने यानी सुरक्षित तरीके से यान उतारने का यह मिशन अगर सफल हो जाता है तो भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जो ऐसा कर पाने में सक्षम हुए हैं.
मोदी ने कहा कि चंद्रयान-2 भी उतना ही महत्वपूर्ण था, क्योंकि इससे जुड़े ऑर्बिटर के डेटा ने पहली बार रिमोट सेंसिंग के माध्यम से क्रोमियम, मैंगनीज और सोडियम की उपस्थिति का पता लगाया था और इससे चंद्रमा के मैगमैटिक विकास के बारे में अधिक जानकारी भी मिलेगी.
3 लाख किमी से अधिक की दूरी करेगा तय
प्रधानमंत्री ने कहा कि कक्षा में भेजने की प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 को चंद्र स्थानांतरण प्रक्षेप पथ में भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि 3,00,000 किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए, यह आने वाले हफ्तों में चंद्रमा पर पहुंचेगा. उन्होंने कहा, ‘‘चंद्रयान पर मौजूद वैज्ञानिक उपकरण चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे और हमारे ज्ञान को बढ़ाएंगे.''
'अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का समृद्ध इतिहास '
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे वैज्ञानिकों को धन्यवाद, अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत का इतिहास बहुत समृद्ध है. चंद्रयान-1 को वैश्विक चंद्र मिशनों में एक पथ प्रदर्शक माना जाता है, क्योंकि इसने चंद्रमा पर जल के अणुओं की उपस्थिति की पुष्टि की है. यह दुनिया भर के 200 से अधिक वैज्ञानिक प्रकाशनों में प्रकाशित हुआ.'' उन्होंने कहा कि चंद्रयान-1 तक, चंद्रमा को एक पूर्ण रूप शुष्क, भूवैज्ञानिक रूप से निष्क्रिय और निर्जन खगोलीय पिंड माना जाता था और अब, इसे जल और इसकी उप-सतह पर बर्फ की उपस्थिति के साथ एक गतिशील और भूवैज्ञानिक रूप से सक्रिय खगोलीय खंड के रूप में देखा जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘हो सकता है कि भविष्य में इस पर संभावित रूप से निवास किया जा सके!''
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