BBC डॉक्यूमेंट्री पर कथित पाबंदी लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती

वकील मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका दाखिल कर डॉक्यूमेंट्री पर भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से 21 जनवरी, 2023 को जारी आदेश को मनमाना, दुर्भाग्यपूर्ण और असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने का निर्देश देने की मांग की है.

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डॉक्यूमेंट्री  'इण्डिया: द मोदी क्वेश्चन' पर कथित पाबंदी लगाने के आदेश को चुनौती
नई दिल्ली:

BBC डॉक्यूमेंट्री का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और याचिका दाखिल कर डॉक्यूमेंट्री पर कथित पाबंदी लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. वकील मनोहर लाल शर्मा की ओर से याचिका दाखिल की गई है. याचिका में साल 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों और उसके पहले व बाद में बनी परिस्थितियों पर बीबीसी की बनाई दो भागों वाली इस विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री  'इण्डिया: द मोदी क्वेश्चन' पर कथित पाबंदी लगाने के केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती दी गई है.

वकील मनोहर लाल शर्मा ने यह जनहित याचिका दाखिल कर इस डॉक्यूमेंट्री पर भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से 21 जनवरी, 2023 को जारी आदेश को मनमाना, दुर्भाग्यपूर्ण और असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने का निर्देश देने की मांग की है. याचिका में कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि देश भर में विवादों की जड़ बनी बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री में मौजूद सामग्री की तथ्य आधारित गहन जांच पड़ताल हो.  इसके बाद कोर्ट उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दे जो 2002 के गुजरात दंगों के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर जिम्मेदार थे. 

कोर्ट यह तय कर दे कि क्या देश के नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (2) के तहत दिए गए अभिव्यक्ति के अधिकार के तहत 2002 के गुजरात दंगों पर समाचार, तथ्य और रिपोर्ट देखने का अधिकार है? क्या केंद्र सरकार प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार पर अंकुश लगा सकती है? क्या राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 352 का प्रयोग करते हुए आपातकाल घोषित किए बिना, केंद्र सरकार द्वारा आपातकालीन प्रावधानों को लागू कर सकते हैं?  अर्जी में दावा किया गया है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में ऐसे रिकॉर्डेड तथ्य और सबूत हैं जिनका उपयोग पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए किया जा सकता है.

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