कृषि कानूनों को वापस लेने के पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के ऐलान के बाद अब संसद के शीतकालीन सत्र (Winter session of Parliament) के पहले ही दिन इन तीनों कानूनों को वापस लेने वाले बिल को पारित कराने की तैयारी है. भारतीय जनता पार्टी (BJP)ने इस मामले में राज्य सभा के अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी की है और सोमवार 29 नवंबर को सदन में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व के मौके पर देश के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws)को वापस लेने का ऐलान किया था.
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हालांकि, पीएम की ओर से कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के यह ऐलान भी किसानों को पूरी तरह 'आश्वस्त' नहीं कर पाया है और वे फिलहाल अपने आंदोलन को खत्म करने के लिए तैयार नहीं हैं. लखनऊ में हुई किसान महापंचायत में किसानों ने कहा है कि खेती के काले क़ानून वापस करना ही काफ़ी नहीं है, जब तक एमएसपी गारंटी क़ानून नहीं बनता और पहले से तैयार किसान विरोधी विधेयक रद्द नहीं किए जाते तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा.
शुक्रवार को गुरु पर्व पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा था, 'हम किसानों को आश्वस्त करने में सफल नहीं हो पा रहे. किसानों का एक वर्ग ही कानूनों का विरोध कर रहा लेकिन हम उन्हें शिक्षित करने और जानकारी देने का प्रयास करते रहे. हमने किसानों को समझाने का पूरा प्रयास किया. हम कानूनों में संशोधन करने, यहां तक कि उन्हें सस्पेंड करने के लिए तैयार थे . मामला अब सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया.हम किसानों को समझा नहीं सके. यह किसी पर आरोप लगाने का समय नहीं है. मैं सबसे कहना चाहता हूं कि हमने कृषि कानूनों को वापस ले लिए. हम कृषि कानूनों को रद्द कर रहे हैं.'