केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार उन राज्यों की मदद नहीं कर सकती जो अवास्तविक चुनावी वादों के जरिये अपना खजाना खाली कर देते हैं. केंद्र द्वारा जारी धनराशि में कुछ राज्यों के साथ भेदभाव के आरोप के बारे में पूछे जाने पर शाह ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि सभी राज्यों को अपना बजट विकास कार्यक्रमों और सामाजिक कल्याण प्रतिबद्धताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार करना चाहिए. पश्चिम बंगाल, केरल और कर्नाटक की सरकारों ने हाल में राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन किया था और आरोप लगाया था कि उन्हें केंद्रीय निधि का उचित हिस्सा नहीं दिया गया. वित्त मंत्री ने इस आरोप का खंडन किया था.
शाह ने कहा कि लोकसभा में पेश श्वेत पत्र में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को दी गई धनराशि का ब्योरा दिया है.
शाह ने ‘ईटी नाउ ग्लोबल बिजनेस समिट 2024' में कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही थे जिन्होंने 15वें वित्त आयोग के माध्यम से राज्यों को अधिक धन देने की पहल की और लोग इसके बारे में जानते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अगर आप ऐसे चुनावी वादे करते हैं जिसके जरिए आप खजाना खाली करना चाहते हैं और इसके परिणामस्वरूप आपके पास वेतन देने के लिए भी धन नहीं है, तो ऐसी स्थिति में भारत सरकार मदद नहीं कर सकती है.''
उन्होंने कहा कि सभी को विकास और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को ध्यान में रखकर बजट बनाना चाहिए और भारत सरकार यही कर रही है.
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव' के मुद्दे पर भी बोले शाह
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव' मुद्दे पर शाह ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति मार्च तक अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है.
उन्होंने कहा कि क्योंकि लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए चुनाव के बाद लोग इस मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं.
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि देश के सर्वांगीण विकास और राष्ट्र के समग्र कल्याण के लिए एक साथ चुनाव जरूरी है.
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