'सेंट्रल विस्टा जरूरी, काम जारी रहेगा'- दिल्ली HC ने याचिकाकर्ता पर लगाया 1 लाख का जुर्माना

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि सेंट्रल विस्टा जरूरी है और इसका काम जारी रहेगा. परियोजना के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज कर दी गई है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 1 लाख का जुर्माना भी लगाया है.

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सेंट्रल विस्टा का काम रोकने की मांग करने वाली याचिका खारिज.

नई दिल्ली:

मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना सेंट्रल विस्टा (Central Vista Project) का काम रोकने की कोशिशों को झटका लगा है. दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सोमवार को कहा कि सेंट्रल विस्टा जरूरी है और इसका काम जारी रहेगा. परियोजना के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज कर दी गई है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 1 लाख का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने जुर्माना लगाते हुए कहा कि यह याचिका 'किसी मंशा से प्रेरित लगती है, न कि किसी सच्चे कारण से.'

हाईकोर्ट ने कहा कि निर्माण स्थल पर मजदूर रह रहे हैं, ऐसे में कोरोनावायरस महामारी के दौरान काम रोकने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है. कोर्ट ने कहा कि शपूरजी पल्लोनजी ग्रुप को दिए गए कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से काम नवंबर तक पूरा होना है, ऐसे में इसे जारी रखना चाहिए. जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने यह याचिका सुनी. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने बेंच के हवाले से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस परियोजना की वैधता को लेकर अपनी हामी दी थी.

बता दें कि इस महीने ही केंद्र ने हाईकोर्ट से कहा था कि यह याचिका इस परियोजना को रोकने की कोशिश में 'कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करती है.' केंद्र ने इस याचिका को जुर्माना लगाकर खारिज करने का आग्रह भी किया था.

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याचिकाकर्ता आन्या मल्होत्रा और सोहेल हाशमी की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया था कि इस परियोजना के चलते सैकड़ों कर्मचारियों पर कोविड का संकट बना हुआ है, ऐसे में इसका निर्माण कार्य रोका जाना चाहिए.

केंद्र ने हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि याचिका में जहां काम रोकने की मांग की गई है वो सेंट्रल विस्टा परियोजना नहीं है बल्कि सेंट्रल  विस्टा एवेन्यू (राजपथ के दोनों ओर) है, जहां गणतंत्र दिवस समारोह होता है और पर्यटकों और आम लोग वहां आते हैं. कांट्रेक्ट के अनुसार, यह कार्य 10 नवंबर, 2021 तक पूरा किया जाना है.

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हलफनामे में यह भी कहा गया है कि परियोजना का उद्घाटन पीएम द्वारा नहीं किया गया था, जैसा कि याचिका में कहा गया है. इसकी गलत जानकारी शरारतपूर्ण ढंग से दी गई है. 19 अप्रैल को कर्फ्यू लगाए जाने से पहले साइट पर 400 कर्मचारी थे. ये तब से साइट पर हैं और पूरी तरह से अधिसूचना का अनुपालन कर रहे हैं.

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