Power Crisis : ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन (Energy Minister Satyendar Jain)ने कहा कि किसी भी पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक किसी भी हालत में 15 दिन से कम का नहीं होना चाहिए, ज्यादातर कोल प्लांट (Thermal Power Plant) में 1 से 2 दिन का स्टॉक ही बचा है. NTPC जो सबसे ज्यादा बिजली बनाती है, आज उसके ज्यादातर प्लांट 55 फ़ीसदी कैपेसिटी पर चल रहे हैं. थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले की बड़ी दिक्कत है, तभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी प्रधानमंत्री (PM Modi) को पत्र लिखा है, पंजाब में बिजली के कट लग रहे हैं. बिजली की समस्या है इसको मानना चाहिए. ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कल कहा था कि देश में कोई बिजली संकट (Power Crisis) नहीं है, कोयले की कमी (Coal shortage) से जल्द निपट लिया जाएगा.
दिल्ली की बिजली की पीक डिमांड (उच्चतम मांग) इन दिनों 7400 MW पर गई थी, कल पीक डिमांड 4562 MW थी, इसके बावजूद पूरी सप्लाई नहीं मिल रही है. केंद्रीय मंत्री पावर पर्चेज एग्रीमेंट का हवाला दे रहे हैं, लेकिन उसके हिसाब से साल में 85 फ़ीसदी समय पर पूरी बिजली देनी होती है, सिर्फ 15 फ़ीसदी समय पर आप 55 फीसदी कैपेसिटी पर जा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता कि एक ही समय में सभी प्लांट के बंद होने की नौबत आ जाए.
NTPC से दिल्ली को करीब 4 हजार मेगावॉट बिजली मिलती है, सीएम ने प्रधानमंत्री मोदी को जो लेटर लिखा था, उसमें केवल 4 मुख्य प्लांट की बात थी. उधर से सप्लाई में कमी के कारण हमें अपने गैस प्लांट चलाने पड़ रहे हैं. दिल्ली में जो तीन गैस प्लांट हैं, उन्हें हम तभी चलाते हैं, जब बिजली की दिक्कत होती है, क्योंकि सस्ते गैस का कोटा केंद्र ने खत्म कर दिया था. इन तीनों प्लांट की कैपेसिटी 1900 MW है, अभी इनमें 1300 MW का प्रोडक्शन हो रहा है. इसके लिए महंगे दाम पर गैस खरीदनी पड़ रही है, 17.25 रुपए प्रति यूनिट का खर्च आ रहा है.
गैस की कमी के कारण बवाना प्लांट बन्द होने के बाद हमें गैस की सप्लाई मिली, वे गैस दे देंगे, लेकिन गैस समाधान नहीं है, NTPC के प्लांट से बिजली की लगातार सप्लाई जरूरी है. केंद्रीय मंत्री ने जो कहा है, हमें भले जानकारी न हो, लेकिन योगी जी को तो जानकारी होगी, वे क्यों प्रधानमंत्री को पत्र लिख रहे हैं. प्रधानमंत्री इस देश के ही प्रधानमंत्री हैं, अपने देश के प्रधानमंत्री से बात नहीं कर सकते, तो किससे बात कर सकते हैं.