केंद्र और लद्दाख के नेताओं के बीच गतिरोध समाप्त, राज्य की मांग पर "समयबद्ध" समाधान का मिला आश्वासन

गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रतिनिधियों से विरोध प्रदर्शन न करने को कहा और उन्हें आश्वासन दिया कि समयबद्ध समाधान निकाला जाएगा.

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नई दिल्ली:

केंद्र सरकार और लद्दाख के नेताओं के बीच जारी गतिरोध खत्म हो गया है. उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) के नेताओं और गृह मंत्रालय (MHA) के अधिकारियों के बीच सोमवार को दिल्ली में पहले दौर की वार्ता हुई. ये समूह लद्दाख के लिए अलग राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची (जो आदिवासी समुदायों को स्वायत्तता प्रदान करती है) की तर्ज पर संवैधानिक सुरक्षा उपाय, लोक सेवा आयोग का गठन, लद्दाखियों के लिए नौकरियों में आरक्षण और लेह तथा कारगिल के लिए दो अलग संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के निर्माण की मांग कर रहे हैं. गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रतिनिधियों से  विरोध प्रदर्शन न करने की अपील की और उन्हें समयबद्ध समाधान निकाले जाने का आश्वासन दिया.

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में हुई बैठक

बताते चलें कि एचपीसी में एपेक्स बॉडी लेह (एबीएल) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के प्रमुख प्रतिनिधि शामिल हैं. बैठक की अध्यक्षता गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने की और यह लगभग 2 घंटे तक चली.  इन संगठनों द्वारा लद्दाख और कारगिल में ब्लॉक स्तर और ग्राम स्तर पर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे थे ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके कि परिवर्तन उन पर कैसे प्रभाव डालेंगे. एनडीटीवी से बात करते हुए छात्र नेता पद्मा स्टैनज़िन ने कहा कि "हम लोगों को एकजुट कर रहे थे, लेकिन अब हमें विरोध प्रदर्शन रोकने के लिए कहा गया है और बातचीत शुरू हो गई है और केंद्र ने समयबद्ध परिणाम का आश्वासन दिया है.

पूर्व लोकसभा सांसद थुपस्तान छेवांग ने कहा, "हमने मंत्रालय के सामने अपना चार सूत्री एजेंडा रखा है. मंत्री ने हमें धैर्यपूर्वक सुना और अगली बैठक से पहले अपनी मांगें लिखित रूप में सौंपने को कहा है.

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राजनीतिक कार्यकर्ता सज्जाद कारगिली ने कहा, "हम अपना लिखित आवेदन प्रस्तुत करेंगे. हमें उम्मीद है कि सरकार लद्दाख के लोगों की चिंताओं पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देगी. 

साल 2019 में  जम्मू और कश्मीर राज्य से लद्दाख को अलग किए जाने के बाद एबीएल और केडीए नामक 2 संगठनों का गठन किया गया था. एबीएल और केडीए सदस्यों ने लद्दाख निवासियों के अधिकारों की सुरक्षा, फास्ट ट्रैक भर्ती प्रक्रियाओं, एलएएचडीसी को मजबूत करने, निर्णय लेने में अधिक भागीदारी आदि से संबंधित विभिन्न मुद्दे प्रस्तुत किए. लेह में कई लोगों ने अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण पर प्रारंभिक खुशी के बाद, फैसले पर अफसोस जताया और बाद में संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग करते हुए एक जन आंदोलन शुरू किया था. 

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क्या है KDA और ABL?

KDA और ABL दोनों विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक निकायों के समूह हैं जो क्षेत्र के लिए केंद्र सरकार से अधिकारों की मांग करने वाले लोगों के आंदोलन का नेतृत्व करतारहा है. अनुच्छेद 370 और 35 ए के तहत गारंटीकृत अधिकारों के अभाव में, स्थानीय लोगों के बीच भूमि और नौकरियों की स्थिति और पर्वतीय क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को लेकर चिंताएं बढ़ गईं है, स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि ऐसे अधिकारों के अभाव में शोषण का सामना करना पड़ता है.  ABL और KDA  अपनी मांगों पर दबाव बनाने के लिए लगातार आंदोलन करता रहा है. 

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