केंद्र ने राज्यों से कोविड-19 के बढ़ते मामलों पर सतर्क रहने को कहा

भारत में कोविड-19 के उप स्वरूप जेएन.1 का पहला मामला आठ दिसंबर को केरल में सामने आया था. इससे पहले, तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले का एक यात्री सिंगापुर में जेएन.1 स्वरूप से संक्रमित मिला था. उन्होंने कहा कि आगामी त्योहारी मौसम को ध्यान में रखते हुए राज्यों को बीमारी के प्रसार के जोखिम को कम करने के लिए अपेक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय और अन्य व्यवस्थाएं करनी चाहिए.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

केंद्र ने सोमवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से देश में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि और जेएन.1 स्वरूप का पहला मामला सामने आने के बीच निरंतर निगरानी बनाए रखने को कहा. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे एक पत्र में रेखांकित किया कि ‘‘केंद्र और राज्य सरकारों के बीच लगातार और सहयोगात्मक कार्यों के कारण हम (कोविड-19 के) मामलों की संख्या कम करने में सक्षम हुए.'' उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, कोविड-19 वायरस का प्रकोप जारी है. इसलिए सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए गति को बनाए रखना महत्वपूर्ण है.'' पंत ने कहा कि हाल में केरल जैसे कुछ राज्यों में कोविड​​-19 के मामलों की संख्या में मामूली वृद्धि हुई है.

भारत में कोविड-19 के उप स्वरूप जेएन.1 का पहला मामला आठ दिसंबर को केरल में सामने आया था. इससे पहले, तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले का एक यात्री सिंगापुर में जेएन.1 स्वरूप से संक्रमित मिला था. उन्होंने कहा कि आगामी त्योहारी मौसम को ध्यान में रखते हुए राज्यों को बीमारी के प्रसार के जोखिम को कम करने के लिए अपेक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय और अन्य व्यवस्थाएं करनी चाहिए. पंत ने कहा कि राज्यों से आग्रह किया गया है कि वे केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कोविड​​-19 के लिए साझा की गई संशोधित निगरानी रणनीति को लेकर विस्तृत दिशानिर्देशों का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करें. उन्होंने मामलों का जल्द पता लगाने के लिए सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (एसएआरआई) के जिला आधारित मामलों की नियमित आधार पर निगरानी और रिपोर्ट करने को कहा है.

राज्यों को यह भी सलाह दी गई है कि वे सभी जिलों में कोविड-19 जांच दिशानिर्देशों के अनुसार पर्याप्त परीक्षण सुनिश्चित करें और आरटी-पीसीआर और एंटीजन जांच की अनुशंसित हिस्सेदारी बनाए रखें. अपने पत्र में, पंत ने आरटी-पीसीआर जांच की संख्या बढ़ाने और भारतीय सार्स सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इनसाकॉग) प्रयोगशालाओं में जीनोम अनुक्रमण के लिए संक्रमित पाए गए नमूने भेजने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि देश में नए स्वरूप का समय पर पता लगाया जा सके. भारत में जेएन.1 (बीए.2.86.1.1) का पहला मामला आने का उल्लेख करते हुए पंत ने इस स्वरूप के बारे में विवरण भी मुहैया कराया.

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विवरण में कहा गया है कि जेएन.1 (बीए.2.86.1.1) 2023 के अंत में उभरा और यह सार्स सीओवी-2 के बीए.2.86 (पिरोला) समूह से संबंधित है. इसमें कहा गया है कि अमेरिका, चीन, सिंगापुर और भारत में जेएन.1 स्वरूप के मामले आए हैं. चीन से उप स्वरूप के सात मामले सामने आए हैं. अन्य देशों में इसकी मौजूदगी की पुष्टि के लिए ज्यादा आनुवंशिक अनुक्रमण डेटा की आवश्यकता है. विवरण में कहा गया कि सामान्य तौर पर, कोविड-19 के लक्षण विभिन्न स्वरूप के मामलों में समान होते हैं. जेएन.1 से बीमारी की गंभीरता बढ़ने का भी कोई संकेत नहीं मिला है. विवरण में कहा गया कि इस समय, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जेएन.1 वर्तमान में प्रसारित अन्य स्वरूप की तुलना में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अधिक जोखिम प्रस्तुत करता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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